10 साल बाद भी देश की संसद के पास RTI पोर्टल नहीं है 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल इंडिया मिशन...
पुलिस विभाग में किसी भी प्रकार की शिकायत/फरियाद देने के बाद गिरफ्तारी के बाद मानव अधिकार का हनन न हो इस लिये...
राज्य के दस्तावेजों से संबंधित कानून, स्पष्ट कारणों से, अभिलेखागार और अभिलेखीय अभ्यास के लिए हमेशा विशेष महत्व रखते हैं। और उन...
अगर पुलिस किसी आरोपी को अपराध सिद्ध होने से पहले ही अपराधी की तरह मीडिया में प्रस्तुत करती है, तो यह भारतीय...
पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। उक्त एफआईआर में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। गुजरात के अहमदाबाद जिले के ढेढल गाँव के...
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – RTI को कमजोर करने वालों को मिलेगा करारा जवाब यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए...
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 का उपयोग पति को...
हर नागरिक को न्याय तक पहुँच का अधिकार है – सुप्रीम कोर्ट भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 30.04.2025 को अपने एक...
एससी-एसटी विशेष कोर्ट ने कहा-ऐसे अधिवक्ता न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को पहुंचा रहे नुकसान, 2.51 लाख जुर्माना भी ठोंका उत्तरप्रदेश की राजधानी...
किसी भी अवैध निर्माण को तुरंत ध्वस्त किया जाय और अवैध निर्माण जिस अधिकारी के रहते हुआ, उनसबों पर आपराधिक व अन्य...
डिजिटल इंडिया मिशन का जोर-शोर से प्रचार किया गया, लेकिन नागरिक आज भी संसद में ऑनलाइन RTI दाखिल नहीं कर सकते।
अधिकारों का उल्लंघन नागरिक की स्वतंत्रता पर हमला होगा: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सार्वजनिक अभिलेख कानून और अभिलेखागार
अपराध सिद्ध होने से पहले पुलिस आरोपी को अपराधी के रूप में मीडिया में प्रस्तुत करें तो क्या करें ?
बाबूभाई बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य, 26 अगस्त, 2010 भारत का सर्वोच्च न्यायालय निर्णय
“सूचना का अधिकार कोई एहसान नहीं, यह हमारा संवैधानिक हक है!”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्नी के साथ गुदा या मुख मैथुन के लिए पति को दंडित करने के लिए नहीं किया जा सकता।
“FIR दर्ज न करना संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है” — सर्वोच्च न्यायालय
20 फर्जी मुकदमों कराने में वकील फेंसे,अदालत ने एडवोकेट को सुनाई 10 साल की सजा साथ में 2.51 लाख जुर्माना भी ठोंका
सरकारी कर्मचारी अधिकारिक कर्तव्य में अपने पद का विधि विधान के विरुद्ध कार्य करते हुए सलंगन हो तो उसे धारा 197 के तहत संरक्षण उपलब्ध नहीं होगा.