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“FIR दर्ज न करना संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है” — सर्वोच्च न्यायालय

हर नागरिक को न्याय तक पहुँच का अधिकार है – सुप्रीम कोर्ट

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 30.04.2025 को अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में यह स्पष्ट किया कि यदि किसी पीड़ित की शिकायत पर पुलिस प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं करती है, तो यह न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) एवं अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का सीधा हनन है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि FIR दर्ज करना न्याय की प्रक्रिया की प्रथम एवं अनिवार्य कड़ी है, जिससे किसी भी पीड़ित को वंचित नहीं किया जा सकता।

यह निर्णय उन तमाम नागरिकों के लिए आशा की एक नई किरण है, जिनकी शिकायतों को पुलिस द्वारा नजरअंदाज़ किया जाता है।


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