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डिजिटल इंडिया मिशन का जोर-शोर से प्रचार किया गया, लेकिन नागरिक आज भी संसद में ऑनलाइन RTI दाखिल नहीं कर सकते।

10 साल बाद भी देश की संसद के पास RTI पोर्टल नहीं है

1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य नागरिकों को पारदर्शी शासन देना और सूचनाओं को आसानी से सुलभ बनाना था। लेकिन आज, इस मिशन के 10 साल पूरे होने के बाद भी देश की संसद में RTI (सूचना का अधिकार) के लिए कोई ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध नहीं है। नागरिकों को यदि संसद से कोई जानकारी चाहिए तो उन्हें आज भी डाक के जरिए दिल्ली आवेदन भेजना पड़ता है।

RTI कानून और ऑनलाइन सुविधा की स्थिति:
2005 में संसद द्वारा पारित RTI कानून नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। केंद्र सरकार ने अपने मंत्रालयों के लिए एक ऑनलाइन RTI पोर्टल (www.rtionline.gov.in) विकसित किया है, जो देश भर के नागरिकों को डाक या व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की समय और खर्च से राहत देता है। लेकिन इस पोर्टल पर संसद से संबंधित RTI डालने का विकल्प ही उपलब्ध नहीं है।

RTI कानून के अनुसार, संसद को एक “सक्षम प्राधिकरण” (Competent Authority) के रूप में अपनी स्वतंत्र प्रक्रिया और नियम स्थापित करने होते हैं। इसी कारण लोकसभा या राज्यसभा को लेकर RTI केंद्र सरकार के पोर्टल या संसद के किसी डिजिटल माध्यम से दाखिल नहीं की जा सकती।

डिजिटल संसद पोर्टल का उपयोग सीमित:
डिजिटल इंडिया मिशन के तहत “डिजिटल संसद” पोर्टल (https://sansad.in/) विकसित किया गया है, जिस पर सांसदों द्वारा पूछे गए सवाल और सत्र की जानकारी उपलब्ध है, लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि इस पोर्टल से भी RTI आवेदन दायर नहीं किया जा सकता।

अर्थात् न तो केंद्र सरकार का RTI पोर्टल और न ही संसद का डिजिटल पोर्टल RTI आवेदन की सुविधा देता है।

फिलहाल की प्रक्रिया कठिन और पुरानी:
ऐसे में भारत के किसी भी नागरिक को यदि संसद से सूचना चाहिए, तो उसे ₹10 का डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर बनाकर संसद भवन भेजना पड़ता है, या फिर लोकसभा सचिवालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (CPIO) के पास व्यक्तिगत रूप से जाकर आवेदन जमा करवाना पड़ता है।

RTI हेल्पलाइन के प्रयास और जवाब:
RTI हेल्पलाइन – माहिती અધિકાર ગુજરાત પહેલ द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर 9924085000 – ने जब लोकसभा सचिवालय के CPIO से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि “संसद का RTI ऑनलाइन पोर्टल बनाने की प्रक्रिया जारी है।” वहीं जब हेल्पलाइन ने “संसदीय कार्य मंत्रालय” के CPIO से संपर्क किया, तो उन्होंने साफ कहा कि लोकसभा या राज्यसभा से संबंधित RTI उनके मंत्रालय में दाखिल नहीं की जा सकती, क्योंकि RTI कानून के अनुसार संसद एक “सक्षम प्राधिकरण” है और केंद्र सरकार के RTI नियम उन पर लागू नहीं होते।

निष्कर्ष:
10 वर्षों की डिजिटल क्रांति और “डिजिटल इंडिया” के नारों के बावजूद, आज भी देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था – संसद – से जानकारी प्राप्त करने के लिए नागरिकों को पुराने और धीमे साधनों का उपयोग करना पड़ रहा है। RTI की पारदर्शिता और सुविधा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संसद का RTI पोर्टल जल्द से जल्द विकसित किया जाना समय की मांग है।

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