Blog

भारतीय साक्ष्य अधिनियम में दस्तावेज़ की प्रमाणित फोटो न उपलब्ध करने पर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का आदेश साथ में 21000/- दंड भी किया गया.

अपीलार्थी राकेश दवे की अपील संख्या 186/2023 स्वीकार की जाती है एवं विद्वान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, पाली का निर्णय दिनांक 27.06.2023 अपास्त किया जाता है एवं आदेश दिया जाता है कि प्रत्यर्थी/अप्रार्थी, अपीलार्थी/ परिवादी को उसके द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 के तहत प्रस्तुत प्रार्थनापत्र दिनांक 05.11.2022 में चाहे गये दस्तावेजात की प्रमाणित नकलें उपलब्ध कराये और नियमानुसार प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किये जाने के बावजूद उक्त नकलें उपलबध नहीं कराये जाने के कारण से अपीलार्थी/ परिवादी को मानसिक व शारीरिक वेदना पेटे 10,000/- रूपये, परिवाद व्यय पेटे 5000/- रूपये एवं अपील व्यय पेटे 6000/- रूपये कुल 21,000/- रूपये अदा करे ।

327460441180648

क्या हुआ था यह पुरा मामला में विस्तार से

अपीलार्थी/ परिवादी ने जिला आयोग के समक्ष परिवाद पेश कर प्रकट किया कि, अप्रार्थी पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी पदेन प्रधानाचार्य रा.उ.मा.वि. पाली ने परिवादी द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 के तहत चाहे गये दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाये तथा न ही कोई जवाब भिजवाया । परिवादी द्वारा भेजे गये 100 रूपये का भारतीय पोस्टल ऑर्डर भी अप्रार्थी के पास योग, ही जमा है। दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाने से परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुई । अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की ।

विद्वान जिला आयोग ने अपीलार्थी / परिवादी के अभिवचनों, लिखित / मौखिक बहस के आधार पर अपीलाधीन निर्णय पारित कर परिवादी का परिवाद ग्रहणार्थ स्तर पर अस्वीकार किया। जिससे व्यथित होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील पेश की गयी ।

प्रत्यर्थी संख्या एक अनावश्यक पक्षकार होने से उनके विरूद्ध तलबी जारी नहीं करने का आदेश दिनांक 05.12.2023 को दिया गया। प्रत्यर्थी संख्या दो की ओर से दिनांक 02.02.2024, 15.04.2024 एवं 27.06.2024 को प्रतिनिधि अवश्य उपस्थित आए लेकिन तत्पश्चात दिनांक 23.08.2024, 09.10.2024 एवं 22.10.2024 को प्रत्यर्थी संख्या दो की ओर से कोई उपस्थित नहीं आने से अपीलार्थी श्री राकेश दवे स्वयं की बहस सुनी गयी ।

अपीलार्थी/ परिवादी की ओर से तर्क दिया गया कि, अपीलार्थी/ परिवादी द्वारा दस्तावेजात की नकलें प्राप्त करने के लिए दिनांक 05.11.2022 को रजिस्टर्ड पोस्ट नंबर RR191451977IN से प्रार्थनापत्र विधि अनुसार प्रेषित करते हुए 100/- रूपये का भारतीय पोस्ट ऑर्डर नंबर 48 H 445600 प्रेषित किया था और रजिस्ट्री शुल्क भी अदा किया गया था परन्तु दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाये गये और न ही कोई जवाब दिया गया। तत्पश्चात अपीलार्थी/ परिवादी द्वारा पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी पदेन प्रधानाचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जवाली अप्रार्थी को नोटिस भी भेजा गया उसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने भी अपीलार्थी/ परिवादी का परिवाद यह कहते हुए खारिज कर दिया कि परिवादी को कोई दस्तावेज / सूचना नहीं दी जा रही है तो उसके लिए सक्षम अधिकारी को आवेदन/अपील कर सकता है परन्तु आयोग में इसका क्षेत्राधिकार नहीं बनता है ।

  1. यह तर्क भी दिया गया कि अपीलार्थी/ परिवादी ने विद्वान जिला आयोग के समक्ष माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित न्यायिक दृष्टांत । (2008) सीपीजे 427 एन.सी. श्री प्रभाकर व्यांकोबा बनाम अधीक्षक, सिविल कोर्ट निर्णय दिनांक 08.07.2002 में पारित निर्णय की छायाप्रति प्रस्तुत की परन्तु उसके संबंध में भी कोई उल्लेख अपीलाधीन निर्णय में नहीं किया गया है और विद्वान जिला आयोग ने अपील को प्रारम्भिक रूप से ग्रहणार्थ अवस्था पर ही खारिज करने में तथ्यों व विधि की भूल की है एवं उक्त न्यायिक दृष्टांत को लागू नहीं किये जाने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया है। अतः अपील अपीलार्थी स्वीकार की जाकर विद्वान जिला आयोग का अपीलाधीन निर्णय दिनांक 27.06.2023 अपास्त किया जावे। उपरोक्त न्यायिक दृष्टांत क`अलावा अपीलार्थी/ परिवादी की ओर से एक अन्य न्यायिक दृष्टांत बोम्बे उच्च न्यायालय क्रिमीनल रिट पिटिशन नंबर 1194/2008 एवं 2331/2006 सुहाश भांड बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य निर्णय दिनांक भी पेश की गयी । 18.04.2009 की छायाप्रति
  2. अपीलाधीन निर्णय का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि अधीनस्थ जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी / परिवादी के प्रार्थनापत्र को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रस्तुत प्रार्थनापत्र मानते हुए अपीलाधीन निर्णय पारित किया गया है जबकि अपीलार्थी/ परिवादी के अनुसार उक्त प्रार्थनापत्र उसके द्वारा धारा 76 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में अपील का कोई प्रावधान नहीं है। अपील का प्रावधान सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पारित आदेश के संबंध में ही उपलब्ध है। अधीनस्थ जिला आयोग ने अपीलार्थी / परिवादी की ओर से प्रस्तुत माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के न्यायिक दृष्टांत पर भी गौर नहीं किया है जिसके पैरा-11, 15 व 16 के अनुसार अप्रार्थी / प्रत्यर्थी ने परिवादी द्वारा चाहे गये दस्तावेज की नकलें उपलबध नहीं कराकर तथ्यों व विधि की भूल की है।
  3. माननीय बोम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुसार भी लोक सूचना अधिकारी का यह दायित्व है कि वह वांछित दस्तावेजात की नकलें धारा 76 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत यथा संभव उपलब्ध करावें । प्रत्यर्थी / अप्रार्थी की ओर से ऐसा कोई कारण भी नहीं दर्शाया गया जिसके कारण से नकलें दिया जाना संभव नहीं हो ।
  4. आवेदन का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि उक्त आवेदनपत्र अपीलार्थी/ परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी / अप्रार्थी पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी पदेन प्रधानाचार्य रा.उ.मा.विद्यालय जवाली के समक्ष भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 के अंतर्गत दस्तावेजात प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया था और उक्त आवेदनपत्र के माध्यम से विद्यालय में संधारित वेतन पंजिका जुलाई 2022 से नवम्बर 2022 की प्रमाणित प्रतियां, विद्यालय की उपस्थिति पंजिका माह जुलाई 2022 एवं अक्टूबर 2022 की प्रमाणित प्रति, व शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 की संस्थापन सूची मय सकल वेतन राशि की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने हेतु आवेदन किया था लेकिन न तो उक्त दस्तावेजात की नकलें दिया जाना प्रकट हो रहा है और न ही नकलें नहीं दिये जाने का कोई कारण प्रत्यर्थी / अप्रार्थी द्वारा दर्शाया गया है।
  5. अपीलाधीन निर्णय में अपीलार्थी/ परिवादी की ओर से भारतीय साक्ष्य अधिनियम में प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को गलत रूप से सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत प्रार्थनापत्र होना मानते हुए विद्वान जिला आयोग ने तथ्यों व विधि की भूल की है। अतः अपील अपीलार्थी स्वीकार किये जाने योग्य है एवं विद्वान जिला आयोग का अपीलाधीन निर्णय दिनांक 27.06.2023 अपास्त किये जाने योग्य है।
  6. अतः अपीलार्थी/परिवादी को उसके द्वारा चाहे गये दस्तावेजात एवं नियमानुसार प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किये जाने के बावजूद उक्त नकलें उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण से अपीलार्थी/ परिवादी को मानसिक व शारीरिक वेदना पेटे 10,000/- रूपये, परिवाद व्यय 21,000 पेटे 5000/- रूप पेटे 5000/-रूपये एवं अपील व्यय पेटे 6000/- रूपये कुल भी दिलाये जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

उक्त आदेश की पालना 45 दिवस में की जाने अन्यथा 45 दिवस पश्चात अपीलार्थी / परिवादी उपरोक्त देय राशि पर अपील निर्णय से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top