139 वें राष्ट्रीय RTI वेबीनार में जगदीप छोकर और विपुल मुद्गल ने रखे विचार
ADR संस्था के रिसर्च रिपोर्ट को लेकर हुई चर्चा
बिना किसी सोर्स के संपत्ति बढ़ोत्तरी की जांच की उठी मांग।
अभी हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ए डी आर नामक संस्था द्वारा पब्लिश शोध आर्टिकल की रिपोर्ट ने देश में बार पुनः भूचाल ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जब से सांसदों और विधायकों की संपत्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक किए जाने का प्रचलन प्रारंभ हुआ इसके बाद इनकी संपत्तियों में बढ़ोतरी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। इसी विषय पर 139 में राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार में चर्चा हुई जिसमें कई वरिष्ठ सामाजिक क्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से एडीआर संस्था के प्रमुख जगदीप छोकर, कॉमन कॉज के डायरेक्टर विपुल मुद्गल सहित सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पटेल एवं रीवा से प्रोफेसर उत्तम द्विवेदी के साथ पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप डीएल चावड़ा सम्मिलित रहे।
71 सांसदों की सम्पत्ति में 286 फीसदी का उछाल
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की हाल की रिपोर्ट के अनुसार कई सांसदों की संपत्तियों पर गैर अनुपातिक ढंग से इजाफा हो रहा है। हालांकि इस इजाफे के पीछे क्या कारण है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के प्रमुख जगदीप छोकर ने बताया कि सांसदों की संपत्तियों में बढ़ोतरी से स्पष्ट है कि जो सांसद चुनाव जीते हैं उनकी संपत्तियों में तो इजाफा होता है लेकिन जो हार रहे हैं उनकी संपत्तियों में कोई विशेष इजाफा नहीं होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं चुनाव जीतने और पद प्राप्त करने के उपरांत उसके प्रभाव की वजह से उनकी संपत्ति में इजाफा हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो सांसद एक बार चुनाव हार जाते हैं और पुनः चुनाव जीत रहे हैं तो हारने के दौरान उनकी संपत्तियों में इजाफा नहीं होता लेकिन अगली बार जब चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी भी संपत्तियों में इजाफा होता है। इस प्रकार सांसदों का चुनाव जीतना और सांसद अथवा मंत्री बनना सीधे-सीधे उनकी संपत्तियों में इजाफा के समानुपाती है। उन्होंने बताया कि संपत्तियों में होने वाला इजाफा उनके किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान की वजह से नहीं हो रहा इसलिए यह स्पष्ट नहीं है की यह इजाफा किस प्रकार का धन है और कहां से आ रहा है? इसी प्रकार कई मुद्दों पर जगदीप छोकर ने अपने विचार रखे और कहा की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए और अच्छी छवि वाले लोगों को लाना पड़ेगा।
एडीआर कि उक्त रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ कि 71 सांसदों की सम्पत्ति में 286 फीसदी का उछाल हुआ है और इसमे मध्यप्रदेश के गणेश सिंह सहित 5 सांसद शामिल हैं। ADR की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक की सम्पत्ति में 17.59 करोड़ का इजाफा हुआ है।
पार्टियां धनी और बाहुबली लोगों को टिकट देती है
कार्यक्रम में कॉमन कॉज से पधारे सीईओ और डायरेक्टर विपुल मुद्गल ने कहा कि आज की परंपरा में पार्टियां ऐसे लोगों को टिकट दे रही है जो आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति होते हैं। उसके बाद भी जो ऐसे लोग हैं जो दबंग और जिनका क्रिमिनल रिकॉर्ड होता है उनको भी प्राथमिकता दी जा रही है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि आज राजनीतिक दल नैतिकता को छोड़कर पूरी तरह से चुनावी दंगल में ऐसे व्यक्तियों की तलाश में है जो साम-दाम-दंड-भेद से उन्हें चुनाव जीता सकें। विपुल मुद्गल ने बताया कि एडीआर और कॉमन कॉज दोनों ने मिलकर इलेक्टोरल बांड पर भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई हुई है जिस पर सुनवाई चल रही है। विशेषज्ञों ने कहा कि जो व्यक्ति टिकट पा रहा है और जिसके द्वारा टिकट दिया जा रहा है उसमें टिकट दिए जाने वाला व्यक्ति महत्वपूर्ण हो जाता और टिकट प्राप्त कर चुनाव जीतने वाले व्यक्ति उस टिकट देने वाले व्यक्ति के प्रति ज्यादा निष्ठा रखते हैं और जनता के प्रति उनकी निष्ठा कमजोर हो जाती है। इसलिए पूरा तंत्र इस प्रकार काम कर रहा है कि व्यक्ति टिकट कैसे पा रहा है और टिकट उसे कौन दे रहा है। इस बात पर जोर नहीं रहता है कि जिन मतदाताओं ने उन्हें वोट दिया उनके प्रति उनकी निष्ठा बनी रहे। इसीलिए टिकट प्राप्त करने के बाद धन की गैर अनुपातिक तरीके से वसूली का रास्ता साफ हो जाता है और हर कोई इसी बात पर जोर देता है कि कैसे उन्हें धन प्राप्त हो क्योंकि इसके पहले उन्होंने चुनाव में काफी धन लगाया होता है।
विपुल मुद्गल ने बताया कि मात्र एक चुनाव में लगभग 8 बिलियन डॉलर खर्च होते हैं। और यदि सभी चुनावों को देख लिया जाए तो यह खर्च 30 से लेकर 35 बिलीयन डॉलर तक हो जाता है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है यह खर्च किया जाने वाला पैसा कहीं न कहीं जनता से ही निकाला जाएगा। इस प्रकार चुनावों में अकूत संपत्ति लगाया जाना भी प्रतिबंधित होना चाहिए और प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।।
सरकार के साथ-साथ आम जनता और मतदाताओं में भी नैतिकता का होना आवश्यक
इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा के प्रोसेसर एवं संवैधानिक विशेषज्ञ डॉक्टर उत्तम द्विवेदी ने बताया हमें संस्कारों के प्रति भी जागरूक रहना पड़ेगा और हमें यह देखना पड़ेगा कि जो लोग हमारे घरों से तैयार हो रहे हैं वह संस्कारी तो हैं। आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम स्वयं ही जनप्रतिनिधियों को चुन रहे हैं और चुनने के बाद हम जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराते हैं। हमें ऐसे जनप्रतिनिधियों का चुनाव नहीं करना चाहिए जिनका आपराधिक रिकॉर्ड हो और जो धन देकर वोट प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा हमारे देश में विकल्प मौजूदगी भी एक समस्या है जिसमें कुछ गिने-चुने पार्टियां और उनके प्रतिनिधि चुनाव मैदान में होते हैं इसलिए हमें मजबूरन उन्हीं में से चुनाव करना होता है। उन्होंने अडानी मुद्दे पर अपना विचार रखते हुए कहा कि बड़ा ताज्जुब होता है जब संसद में सदस्य अडानी की संपत्ति की जांच की मांग करते हैं लेकिन वही स्वयं उनकी जो कई गुना ज्यादा संपत्ति बढ़ रही है उसके विषय में बात करना पसंद नहीं करते। उन्होंने कहा कि संसद में नियम कायदे इन्हीं सांसदों के द्वारा पास किए जाते हैं और जिनमें यह स्वयं दोषी हैं उसके बारे में कभी चर्चा नहीं करते। डॉ उत्तम द्विवेदी ने कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा की धन खर्च कर चुनाव लड़ना बंद किया जाना चाहिए तभी हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं कि जो चुनकर आ रहे हैं वह धन वसूली नहीं करेंगे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं नेशनल फेडरेशन फॉर सोसायटी फॉर फास्ट जस्टिस के जनरल सेक्रेटरी प्रवीण पटेल ने भी अपने विचार रखे और कहा कि चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए एवं जनप्रतिनिधियों की संपत्तियों में अकूत बढ़ोत्तरी पर लगाम लगानी चाहिए। वही कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी अपने विचार रखे और उन्होंने भी राजनेताओं के साथ-साथ वोटर और आम जनता पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि हमारे घर से ही नैतिकता प्रारंभ होती है और हमें स्वयं भी यह ध्यान देने की जरूरत है कि नैतिक और जिम्मेदार नागरिक तैयार करें जिससे ऐसे व्यक्तियों का चुनाव ही न हो पाए जो गलत छवि अपराधिक प्रवृत्ति और पैसे की लेनदेन कर चुनाव जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं इसके पीछे हम स्वयं भी जिम्मेदार हैं।
कार्यक्रम में अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी अपनी बातें रखी जिसमें आरटीआई रिसोर्स पर्सन विरेंद्र कुमार ठक्कर, रजी हसन, ललित सोनी, जयपाल सिंह खींची, धनीराम गुप्ता आदि सम्मिलित रहे।