मध्य प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला के ऊपर हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा लगाए गए 2 हज़ार रूपये के कॉस्ट पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
पूर्व केंद्रीय सूचना शैलेश गांधी, मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह और आत्मदीप की उपस्थिति में आयोजित हुआ वेबिनार
सैकड़ों आरटीआई कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा
मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग एक बार पुनः सुर्खियों में है। इस बार सुर्खियों में होने का कारण इनके द्वारा दिए जाने वाले कोई जनहित में आदेश नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला के ऊपर अभी हाल ही में प्रदीप कुमार श्रीवास्तव सहायक ग्रेड 3 के द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिका क्रमांक 1352/2022 है जिसमें मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग को पार्टी बनाए जाने पर युगल पीठ के जज शील नागू और अरुण कुमार शर्मा द्वारा एक आदेश जिसमें युगल पीठ जजों द्वारा लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी की गलती को लेकर मध्य प्रदेश राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला के ऊपर 2 हज़ार रुपये की कॉस्ट लगा दी गई है। जानकारों की माने तो कॉस्ट एक ऐसे जुर्माने की प्रकृति होती है जिसमें राशि अधिकारी या लोक प्राधिकारी की स्वयं की जेब से न भरी जाकर सरकारी खजाने से भरी जाती है।
बताया गया कि इस विषय पर मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला की तरफ़ से मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग द्वारा पुनरीक्षण याचिका क्रमांक 795/2022 हाई कोर्ट जबलपुर में दायर की गई थी लेकिन उस पर भी सूचना आयुक्त को कोई राहत नहीं मिली है और कॉस्ट यथावत रखी गई है।
हाईकोर्ट जबलपुर ने मुख्य सूचना आयुक्त पर जड़ा 2 हज़ार रुपये का कॉस्ट, सूचना आयोगों में मच गया हड़कंप
उक्त मामले को लेकर दिनांक 28 अगस्त 2022 को मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता एवं पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप के विशिष्ट आतिथ्य में 114 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में देश के विभिन्न कोनो से आरटीआई आवेदकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में इस आदेश के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई जिसमें चर्चा में शामिल होने वाले एक्टिविस्टों में छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल, जोधपुर राजस्थान से सुरेंद्र जैन, राजस्थान से अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट ताराचंद जांगिड़ एवं उत्तराखंड से आरटीआई रिसोर्स पर्सन वीरेंद्र कुमार ठक्कर आदि सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पधारे हुए पार्टिसिपेंट्स ने अपने प्रश्न भी रखें जिनके समाधान उपस्थित विशेषज्ञों के द्वारा दिए गए।
पार्टिसिपेंट्स ने कहा आदेश सही, तो सूचना आयुक्तों ने करार दिया अवैधानिक
आयोजित कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा की सूचना आयोग एक क्वासी ज्यूडिशियलl संस्था है जिसके आयुक्तों के ऊपर किसी भी प्रकार की कॉस्ट लगाया जाना कानूनी तौर पर जायज नहीं है। स्वयं उपस्थित सूचना आयुक्त आत्मदीप ने मामले पर संदेह जाहिर करते हुए कहा कि यह आदेश कानूनी स्तर पर अवैधानिक है और कानून में इस प्रकार के प्रावधान नहीं है जहां एक सूचना आयुक्त के ऊपर जुर्माना या कॉस्ट लगाया जाए। उन्होंने इसकी वैधता पर सवाल खड़ा किए वहीं दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी सूचना आयोगों के आदेश के विरुद्ध दायर होने वाले रिट पिटिशन पर भी सवाल खड़ा किए और कहा कि सबसे पहले हाईकोर्ट को स्टे देने और कोई भी मामला लेने के पहले यह देखना चाहिए कि वह रिट जूरिडिक्शन में आता है अथवा नहीं। उन्होंने सूचना आयुक्तों पर कॉस्ट लगाने सम्बन्धी इस प्रकार की कार्यवाही को अवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया और कहा कि इस प्रकार की प्रैक्टिस बंद की जानी चाहिए। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कहा कि आम जनता को भी गलत निर्णय ऊपर ताली नहीं बजानी चाहिए जिससे एक गलत परंपरा का जन्म हो। हम सबको मिलकर जहां भी गैरकानूनी आदेश जारी किए जाते हैं अथवा कानून के विरुद्ध कोई कार्य होता है उस पर मिलकर विरोध करना चाहिए और आवाज बुलंद करनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि सहयोगियों में हाई कोर्ट जबलपुर के अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, वरिष्ठ पत्रिका समूह के पत्रकार मृगेंद्र सिंह एवं अन्य सहयोगी मौजूद रहे।