सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुआ कार्यक्रम
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी एवं मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी किया संबोधित।
वैश्विक परिवेश में भारतीय चुनाव सुधार की स्थिति एवं सूचना के अधिकार विषय पर आयोजित 113 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार में भारत के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए चुनावों की स्थिति और चुनाव सुधार पर बताया कि आज भारत विश्व में एक आदर्श डेमोक्रेसी के तौर पर माना जा रहा है जिसमें बेहतर और शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराए जाते हैं। उन्होंने इलेक्टोरल बांड, राजनीतिक पार्टियों के सूचना के अधिकार के दायरे में आने एवं जनप्रतिनिधियों एवं अभ्यर्थियों के आपराधिक रिकॉर्ड चल अचल संपत्ति आदि के ब्योरे एवं चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्राप्त होने वाली शिकायतों और उस पर होने वाली त्वरित कार्यवाही आदि के विषय में भी अपने विचार विस्तार से रखें।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी एवं पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप सहित फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल सहित अन्य पार्टिसिपेंट्स ने भी अपने विचार रखे।
वेबीनार में मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि उनके द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से पंचायत अभ्यर्थियों के चल अचल संपत्ति आपराधिक रिकॉर्ड एवं शपथ पत्र आदि की जानकारी सार्वजनिक करने के आदेश दिए गए थे लेकिन मध्य प्रदेश चुनाव आयोग सहित सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके विषय में एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा जनहित याचिका भी हाई कोर्ट जबलपुर में दायर की गई है जिसके बाद आनन-फानन में कार्यवाहीयों का दौर प्रारंभ हुआ है और यह समस्त जानकारी पब्लिक पोर्टल पर साझा की जा रही है। कार्यक्रम में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी चुनाव सुधारों के विषय में विस्तार से चर्चा की एवं राउंडटेबल डिस्कशन के दौरान पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत से विभिन्न प्रकार के प्रश्न किए।
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी अनैतिक तरीके से जनप्रतिनिधियों के द्वारा झूठे वादे कर और झूठ बोलकर आम जनता को गुमराह करने के विषय में अपने विचार रखे और कहा कि इस प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे और इलेक्टोरल बांड सहित पारदर्शिता के सवाल पर भी विस्तार से चर्चा हुई और विभिन्न प्रकार से पार्टिसिपेंट्स ने प्रश्न पूछे कि आखिर राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने में क्या दिक्कत हो रही है।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया जिसमें सहयोगियों में मृगेंद्र सिंह, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, शिवेंद्र मिश्रा और छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल के साथ किया गया।