सुभाष अठारे बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक आवेदन 3421/2022)
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि पुलिस थाने में वीडियो रिकॉर्डिंग को जासूसी नहीं मान सकते। कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि गोपनीयता आधिनियम की धारा में उल्लेखनीय “प्रतिबंधित स्थान” की परिभाषा में पुलिस स्टेशन शामिल नहीं है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि पुलिस थाने में वीडियो रिकॉर्डिंग को जासूसी नहीं मान सकते। कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि गोपनीयता आधिनियम की धारा में उल्लेखनीय “प्रतिबंधित स्थान” की परिभाषा में पुलिस स्टेशन शामिल नहीं है। यह फैसला दो भाइयों सुभाष और संतोष अठारे द्वारा दायर याचिकाओं पर आधारित है, जिन्होंने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। मामला पाथर्डी पुलिस स्टेशन से जुड़ा है, जहां 21 अप्रैल 2022 को एक घटना हुई थी। इसके बाद सुभाष ने पुलिस ऑफिसर के साथ की बातचीत को रिकॉर्ड किया था, जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। लेकिन कोर्ट ने फैसला सुनाया कि वीडियो रिकॉर्डिंग जासूसी नहीं है और एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया।