आम नागरिक सामान्य जानकारियों से हो रहे दूर
पूर्व सूचना आयुक्तों ने 142 वें राष्ट्रीय वेबीनार में सूचना के अधिकार कानून की धारा 4 के तहत जानकारी सार्वजनिक किए जाने पर दिया जोर
सूचना आयुक्तों और कार्यकर्ताओं ने कहा की आरटीआई कानून की रीढ़ है धारा 4
राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के अधिकार कानून को लेकर आयोजित किए जाने वाले प्रत्येक रविवार वेबीनार सीरीज में 12 मार्च को आरटीआई कानून की धारा 4 के विषय में विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में मौजूद पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप एवं देश के विभिन्न भागों से उपस्थित आरटीआई कार्यकर्ताओं ने बताया कि किस तरह से सरकारी विभाग जानकारी छुपाने का कार्य कर रहे हैं और आरटीआई कानून के तहत जो जानकारी आज वेबपोर्टल पर सार्वजनिक की जानी चाहिए थी इस कानून के पास होने के 17 वर्ष बाद भी सही ढंग से सार्वजनिक नहीं हो पाया है इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए सूचना आयुक्तों ने कहा कि आम जनता को जानकारी मिले और पारदर्शिता जवाबदेही बढ़े इसके लिए सरकार के साथ-साथ सूचना आयुक्तों की भी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि सहयोगियों में अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल, मृगेंद्र सिंह एवं पवन दुबे सम्मिलित रहे।
इस बीच कार्यक्रम में एक लंबे अरसे से अनुपस्थित रहे मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के विषय में भी चर्चा की गई जिनके बारे में जानकारी प्राप्त हुई की सूचना आयोग में कुछ अनैतिक तरीके से पारदर्शिता और जवाबदेही पर कुठाराघात किया जा रहा है और सूचना आयुक्तों को पब्लिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए अनैतिक पाबंदियां सी लगाई जा रही है। पूरे देश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया और कहा कि वह इस बात पर संज्ञान लेकर मामले को उच्च स्तर पर लिखेंगे।
उपस्थित कार्यकर्ताओं ने कहा की राहुल सिंह मध्य प्रदेश के एक ऐसे सूचना आयुक्त हैं जिन्होंने पूरे भारत देश में आरटीआई कानून की एक अलख जगाई है और उनके निर्णय न केवल मध्य प्रदेश के लिए बल्कि पूरे भारत देश के लिए एक नजीर साबित हुए हैं। विशेष तौर पर उनके द्वारा दिए गए ऐसे निर्णय जिनमे धारा 4 के तहत प्रावधान लागू किया जाकर अधिक से अधिक जानकारी पब्लिक वेबपोर्टल पर रखी जानी है काफी महत्वपूर्ण रहे हैं और जिनके तहत पूरे भारत में ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं।
राहुल सिंह द्वारा फेसबुक लाइव और ऑनलाइन माध्यमों से की जाने वाली सुनवाई भी चर्चा का विषय रही हैं जिसमें वॉलिंटियर्स की मदद से प्रकरणों के शीघ्र डिस्पोजल पर भी उन्होंने काफी कार्य किया है। इससे न केवल सरकारी खर्चे में कमी आई है बल्कि मामलों के शीघ्र निपटारे भी हुए हैं।