ईओडब्ल्यू और एसीबी का मामला।
चिरमिरी। प्रदेश में ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो में हुए एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड करने का मामला फिर से गरमाया हुआ है। मामले में चार अधिकारियों की समिति बनाने की बात सामने आ रही है। बता दें कि, वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यूथ बार एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में आदेश की थी कि जिन भी विभागों में एफआईआर होता है वे सभी 48 घंटा और 72 घंटे के भीतर एफ आई आर को ऑनलाइन वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद देश में सभी थाने सीबीआई और एनआईए भी अपने किए गए एफ आई आर को वेबसाइट पर अपलोड कर रही है। जबकि आज तक प्रदेश की ईओडब्ल्यू और एसीबी आज तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रही हैं। इस मामले को लेकर हल्दीबाड़ी चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने वर्ष 2021 में जनहित याचिका 154/2021 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में फाइल की थी। जिसमें ईओडब्ल्यू के द्वारा हाईकोर्ट में जवाब दिया गया था कि विभाग में जितने भी एफ आई आर होते हैं वह प्रदेश के अधिकारियों तथा नेताओं के विरुद्ध होते हैं ऐसे में यदि उसे सार्वजनिक किया गया तो उनकी गोपनीयता भंग हो जाएगी। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने मामले में आपत्ति दर्ज कराई। जिसके बाद कोर्ट के सख्त आदेश के बाद ईओडब्ल्यू और एसीबी ने चार अधिकारियों की नियुक्ति कर एफ आई आर को वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए समिति बनाई है। मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि, वर्तमान में कोर्ट का आदेश आने के बाद और विभागों के द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति करने के एफिडेविट के बाद मुझे यह आशा है की एंटी करप्शन ब्यूरो ऑडियो डब्ल्यू अपने दर्ज एफ आई आर को वेबसाइट पर अपलोड करने लगेगी।
कहा गोपनीयता भंग हो जाएगी :-
जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू के द्वारा हाईकोर्ट में जवाब दिया गया था कि विभाग में जितने भी एफ आई आर होते हैं वह प्रदेश के अधिकारियों तथा नेताओं के विरुद्ध होते हैं ऐसे में यदि उसे सार्वजनिक किया गया तो उनकी गोपनीयता भंग हो जाएगी।