यदि डेटा बिल अपने वर्तमान स्वरूप में पारित होगा तो राशन पेंशन की जानकारी मिलना होगा मुश्किल – निखिल डे
आरटीआई कानून को मजबूत करने और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए झारखंड की जनता को आगे आना होगा – राहुल सिंह
झारखंड से ही आरटीआई कानून की रक्षा का लें संकल्प, प्रारंभ करें एक नया आंदोलन – अरुणा राय
सूचना के अधिकार मामलों को लेकर आयोजित किए गए 136 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार में झारखंड हजारीबाग में आयोजित दो दिवसीय सूचना के अधिकार की रक्षा, संवर्धन और प्रचार-प्रसार विषय पर सेमिनार को ऑनलाइन वेबीनार से जोड़ते हुए 3 घंटे का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस बीच देश के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ताओं, सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों और वर्तमान एवं पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सहित केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दी।
प्रस्तावित डेटा बिल का वर्तमान मसौदा आरटीआई कानून के लिए घातक, सामान्य जानकारी मिलना होगा मुश्किल – निखिल डे
मजदूर किसान शक्ति संगठन और एनसीपीआरआई के सह-संस्थापक निखिल डे ने बताया कि यदि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का प्रस्तावित मसौदा लागू होगा तो इससे आरटीआई कानून में गलत ढंग से संशोधन किया जाकर सामान्य जानकारी मिलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने सहभागियों के प्रश्नों के जवाब देते हुए सभी को अवगत कराया कि किस प्रकार राजस्थान में जन सूचना पोर्टल के माध्यम से छोटी-छोटी जानकारियां हासिल कर भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। उन्होंने स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया कि कैसे राजस्थान सरकार द्वारा जन सूचना पोर्टल में सभी विभागों की सामान्य से लेकर सभी जानकारियां साझा की जा रही है और चाहे वह माइनिंग से संबंधित हो, खनिज संपदा के दोहन से संबंधित हो अथवा राशन या पेंशन की जानकारी हो सभी कुछ आसानी से प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि डेटा बिल का प्रस्तावित मसौदा लागू हो जाएगा तो धारा 4 के तहत यह सब जानकारी व्यक्तिगत जानकारी बताते हुए पोर्टल से हटा दी जाएंगी जिससे पारदर्शिता पर बड़ा आघात लगेगा।
निखिल डे ने सभी देश के नागरिकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर डेटा बिल के प्रस्तावित प्रावधान से आरटीआई कानून को प्रभावित करने वाले मसौदे को हटाए जाने की बात की है।
झारखंड की धरती से ही करें एक नए आंदोलन की आगाज, आरटीआई कानून की रक्षा हमारा पहला उद्देश्य – अरुणा राय
प्रसिद्ध समाजसेविका एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन की सह संस्थापक अरुणा राय ने कहा कि आरटीआई कानून को अस्तित्व में लाने के लिए राजस्थान की धरती से आंदोलन चालू हुआ और किस प्रकार मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े हुए मजदूरों और किसानों ने इस आंदोलन को नई ऊर्जा दी थी। परंतु आज जब आरटीआई कानून पर एक बार पुनः खतरा मंडरा रहा है और लोकतंत्र में पारदर्शिता के विरोधी तत्वों द्वारा आरटीआई कानून पर आघात लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में झारखंड हजारीबाग की धरती पर आयोजित इस सेमिनार से ही आरटीआई कानून को बचाने का संकल्प लेते हुए एक नया आंदोलन प्रारंभ किया जाए। उन्होंने निखिल डे, राहुल सिंह एवं उपस्थित प्रतिभागियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब इसी प्रकार का एक बड़ा आंदोलन दिल्ली में किया जाना चाहिए और जन समर्थन जुटाया जाना चाहिए तभी आरटीआई कानून को बचाया जा सकेगा।
झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति और सूचना आयोग के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जनता को आगे आने की आवश्यकता – राहुल सिंह
झारखंड में हजारीबाग में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के समापन दिवस 29 जनवरी 2023 को उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश के वर्तमान राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा की झारखंड राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति न होना एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि एक लंबे अरसे से वेबीनार के माध्यम से भी झारखंड क्षेत्र के जुड़ने वाले साथियों के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त होती रही है कि कैसे झारखंड के आम नागरिक सूचना प्राप्त करने के लिए परेशान हो रहे हैं क्योंकि वहां विधानसभा में विपक्षी दल का नेता न होने से मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। जिसकी वजह से सूचना आयोग क्रियाशील नहीं है। इस विषय पर राहुल सिंह ने कहा कि झारखंड की जनता को इसके लिए आगे आना पड़ेगा और मिलकर आवाज उठानी पड़ेगी। उन्होंने उपस्थित सहभागियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा की प्रस्तावित डेटा बिल के माध्यम से आरटीआई कानून के संशोधन से आरटीआई कानून लगभग समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट के द्वारा दिए जा रहे निर्णय के विषय में भी चर्चा करनी चाहिए लेकिन हम सकारात्मक निर्णय पर भी केंद्रित करें।
कार्यक्रम में वेबीनार के माध्यम से पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी अपने विचार रखे और स्लाइड शो प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तावित डेटा बिल से आरटीआई कानून को होने वाली हानि के विषय में अपनी प्रस्तुति दी और बताया कि कैसे डेटा बिल की धारा 29(2) और 30(2) दोनों ही हटाई जानी आवश्यक है अन्यथा आरटीआई कानून पूरी तरह से निष्प्रभावी हो जाएगा।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप एवं माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक एवं वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता भास्कर प्रभु ने भी अपने विचार रखे।