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आरटीआई कानून में कार्य सुपरिभाषित नहीं इसलिए सूचना आयुक्त और कोर्ट न छीनें निरीक्षण का अधिकार – आरटीआई एक्टिविस्ट

कोर्ट के आदेश के बाद हमने अपनी निरीक्षण की स्ट्रेटजी में किया बदलाव – भास्कर प्रभु

धारा 2(जे)(1) के तहत समस्त कार्यों का होगा निरीक्षण – आत्मदीप

निरीक्षण से कई बार होता है भ्रष्टाचार का खुलासा – आवेदक

निरीक्षण किसी कार्य और दस्तावेज का होता है वस्तुओं का नहीं – राहुल सिंह

अभी हाल ही में एक हाईकोर्ट के निरीक्षण करने संबंधी आदेश और फिर उसके बाद एक आरटीआई अपील पर मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के आदेश को लेकर चर्चा के दौरान बड़े रोचक तथ्य सामने आए हैं। देशभर के जुड़े आरटीआई कार्यकर्ताओं ने कानून की धारा 2(जे)(1) के तहत निरीक्षण करने के अधिकार को दबाए जाने का आरोप लगाया है। परिचर्चा के दौरान आरटीआई आवेदकों द्वारा कहा गया की क्योंकि आरटीआई कानून में कार्य को सुपरिभाषित नहीं किया गया है इसलिए शासकीय धन से कराए जा रहे किसी भी कार्य चाहे वह कार्य पूर्ण हो चुका हो अथवा कार्य चल रहा है उन सबके निरीक्षण का अधिकार भारत देश के किसी भी नागरिक के पास है। और वह आवेदक आरटीआई आवेदन लगाकर निरीक्षण कर सकता है। यदि कोर्ट अथवा सूचना आयोग आवेदकों के इस निरीक्षण के अधिकार को छीनने का प्रयास कर रहे हैं वह कानून को कमजोर करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम होगा।

निरीक्षण किसी कार्य का हो सकता है न की वस्तुओं का – सूचना आयुक्त राहुल सिंह

मध्य प्रदेश के परिपेक्ष्य में अभी हाल ही में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक आदेश जारी करते हुए किसी आरटीआई अपीलार्थी के उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें आवेदक ने किसी कार्यालय में लगाए गए एयर कंडीशनर के निरीक्षण की मांग की थी। सूचना आयोग का तर्क था कि निरीक्षण सैंपल लेने की प्रक्रिया के तहत देखा जाना चाहिए और क्योंकि धारा 2(जे)(3) के तहत किसी चल रहे कार्य के सैंपल लेने का अधिकार प्राप्त है इसलिए धारा 2(जे)(1) में उसी कार्य का निरीक्षण किया जा सकता है जो कार्य चल रहा हो। किसी वस्तु जैसे एयर कंडीशनर पंखा आदि वस्तुओं का निरीक्षण किए जाने का प्रावधान आर टी आई कानून में नहीं है। हालांकि वर्तमान राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि यह आदेश परिस्थितिजन्य है और आवेदक यहां पर स्पष्ट नहीं कर पाया की वह एयर कंडीशनर का निरीक्षण क्यों करना चाह रहा था? यदि निरीक्षण से संबंधित कोई भ्रष्टाचार जैसी स्थिति बताई जाती तो निश्चित तौर पर निरीक्षण का आदेश दिया जाता है।

क्योंकि कार्य को सुपरिभाषित नहीं किया गया इसलिए आमजन को निरीक्षण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता – आत्मदीप

कार्यक्रम में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि वह वर्तमान सूचना आयुक्त राहुल सिंह के अभी हाल ही के एयर कंडीशनर के निरीक्षण संबंधी आदेश से इतर अपनी राय रखते हैं। आत्मदीप ने कहा कि आरटीआई कानून में निरीक्षण भले ही कार्य का हो लेकिन कार्य अथवा कृति बहुत सही ढंग से परिभाषित नहीं है इसलिए कार्य को विभाजित करने के मामले में इतनी दूर तक नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई भ्रष्टाचार निरीक्षण करने के दौरान ही सामने आते हैं और कॉमनवेल्थ घोटाले का जिक्र करते हुए आत्मदीप ने बताया की खेल सामग्रियों के बिल कई लाखों रुपए के लगे थे लेकिन निरीक्षण के दौरान पता चला कि वह सब लोकल स्तर के लगाए गए थे। उन्होंने कहा की जब कोई कार्य चल रहा होता है तो कार्य से संबंधित इंस्ट्रूमेंट उपयोग की जाने वाली सामग्री वह सब कार्य के तहत ही आती है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि एयर कंडीशनर टेबल कुर्सियां पंखे या कार्यालय में लोकधन से लगाए गए सामग्री कार्य की श्रेणी में नहीं आते बल्कि यह सभी सामग्रियां भी कार्य की श्रेणी में ही होती है।

हाई कोर्ट का निर्णय जिसमें कार्य का निरीक्षण नहीं किया जा सकता पूरी तरह से अवैधानिक – शैलेश गांधी

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि हमने हाईकोर्ट के उस निर्णय के बारे में भी सुना है जिसमें यह कहा गया है की निरीक्षण मात्र दस्तावेजों का किया जाएगा न कि कार्य का जो पूरी तरह से अवैधानिक है और आरटीआई कानून को बदलने का प्रयास है। आरटीआई कानून में बहुत स्पष्ट तौर पर कृति अर्थात कार्यों का निरीक्षण करने के लिए लिखा गया है जिसमें पूर्ण हुए कार्य और चल रहे कार्य सभी आते हैं। उन्होंने कहा कि वह आत्मदीप के विचार से सहमति रखते हैं और कार्य के नाम पर विभाजन किया जाना उचित नहीं है क्योंकि कार्य की परिभाषा काफी बड़ी है। शैलेश गांधी ने यह भी कहा कि हालांकि राहुल सिंह के निर्णय काफी महत्वपूर्ण होते हैं और जो भी उन्होंने निर्णय दिया होगा वह वस्तु स्थिति के अनुसार ही दिया होगा। और यह जरूरी नहीं है कि राहुल सिंह का दिया गया निर्णय सभी आगे के निर्णय में सामान रहेगा।

हाईकोर्ट के निरीक्षण संबंधी आदेश के बाद हमने अपनी स्ट्रेटेजी में किया बदलाव – भास्कर प्रभु

मुंबई महाराष्ट्र से आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर प्रभु ने कहा कि जब से कार्य के निरीक्षण संबंधी हाईकोर्ट का निर्णय आया है जिसमें बड़े ही उटपटांग तरीके से कानून का अमेंडमेंट किया गया उसके बाद हमने अपने निरीक्षण जैसे शब्दों को लिखना ही बंद कर दिया और आरटीआई में हम सर्वे किए जाने की मांग करते हैं।

कार्यक्रम में जुड़े हुए कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने अपनी सक्सेस स्टोरी भी शेयर की जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से आरटीआई कानून का और इस वेबीनार का उपयोग करते हुए उन्होंने बड़े भ्रष्टाचार उजागर किए हुए हैं और उन्हें सफलता मिल रही है। कार्यक्रम में राव धनवीर सिंह, वीरेंद्र कुमार ठक्कर, देवेंद्र अग्रवाल आदि आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया

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