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विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबीनार

देश के जाने माने संपादक, सूचना आयुक्त और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा

सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और प्रवीण पटेल ने मिलकर आयोजित किया वेबीनार

10 दिसंबर विश्व मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देश के जाने-माने पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों, सूचना आयुक्त और मानवाधिकार संरक्षण से जुड़े हुए एक्टिविस्टों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी एवं फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पटेल के द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन नई दिल्ली के सदस्य और ह्यूमन राइट्स डिफेंडर उड़ीसा से मनोज जेना ने बताया कि वर्ष 2013-14 से लेकर अब तक ह्यूमन राइट्स वायलेशन बढ़ गए हैं और साथ ही ह्यूमन राइट डिफेंडर्स का काम भी प्रभावित हुआ है। कहीं न कहीं इसके लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कमी बड़ा कारण देखा जा रहा है। वहीं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी जतीस मोहंती ने बताया की समाज में मानवाधिकार का हनन एक आम बात हो गई है जिसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

 कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने भी अपने विचार रखे और कोर्ट में बढ़ते हुए प्रकरण, निरंतर हो रहे मानवाधिकार के हनन और साथ में आरटीआई कानून को कमजोर करने को लेकर चिंता जाहिर की। कार्यक्रम में सोशल एक्टिविस्ट झरना पाठक ने भी अपने विचार रखें और मानवाधिकार को महिला उत्पीड़न से जोड़ते हुए समाज में महिलाओं के प्रति क्रूरता और अत्याचार को लेकर चिंता जाहिर की। अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस रायपुर से सहायक संपादक एजाज कैसर ने भी पत्रकारिता के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि जब भी ऐसे मामले उनके संज्ञान में आए हैं उन्होंने पूरी जिम्मेदारी और तरीके से समाज के सामने रखा है। फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और फ्रीडम ऑफ स्पीच सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में बढ़ती दखलंदाजी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा की स्वयं पत्रकारों का भी मानवाधिकार का हनन किया जा रहा है इसके कई उदाहरण उपलब्ध हैं। 

कार्यक्रम में फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण पटेल ने भी अपने विचार रखें और अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया और बताया की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कमी की वजह से आज मानवाधिकार हनन से जुड़े हुए मुद्दों को उठाने वाले ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स और मानवाधिकार संरक्षण के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को स्वयं भी खतरा उत्पन्न हो गया है। कार्यक्रम में कई पार्टिसिपेंट्स और अन्य लोगों ने भी अपने विचार साझा किए और ह्यूमन राइट्स वायलेशन से संबंधित प्रश्न रखें।

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