समक्ष लोक सूचना अधिकारी,
मा.___सूचना आयोग,
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श्रीमान/ महोदय,
आवेदक, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आगे जिसे ‘अधिनियम’ पढ़ा जायें) कि धारा 6(1) के अनुरूप आवेदन शुल्क 10/- के ई-पोस्टल आर्डर क्र.___ को संलग्न करते हुए अनुरोध करता हैं कि
अधिनियम कि धारा 25(3) के उपबंध (a) एवं (b) के अनुसार माननीय आयोग के द्वारा प्रत्येक लोक प्राधिकारी से कियें अनुरोधों कि संख्या, अनुरोधों के विनिश्चय जहां आवेदक, अधिनियम के जिन प्रावधान/ उपबंधो के अनुसरण में दस्तावेजों तक पहुंच के लिए हकदार नहीं माना गया एवं वह समय कि गणना जिसमें यह आवलंब लिया गया से संबंधित विशिष्टिया प्रदान करें।
उक्त सूचना तक पहुंच के लिए यदि वेबसाइट अथवा प्रदर्शन स्थली जहां पारदर्शिता हेतु सार्वजनिक कि गयीं हो अथवा यथासंभव धारा 25(2) के अनुसार मंत्रालय/ विभागवार निष्कर्षों को खोजने का विकल्प दिया हों तो संबंधित विशिष्टिया प्रदान करें। यदि यह विकल्प मौजूद ना हो तो सूचना कम्प्यूटरीकृत/इलेक्ट्रॉनिक रीति में उपलब्ध होने पर ईमेल से प्रेषित करने एवं मुद्रित किताब अथवा दस्तावेजी रुप में ही होने कि स्थिति में प्रकाशित किताब अथवा सत्यापित छायाप्रतिलिपि में उपलब्ध कराने का श्रम किया जायें। जिसके लिए धारा 4(4) अथवा 7(5) के विहित शुल्क का भुगतान किया जाना स्वीकार है।
आवेदन दिनांक :
पत्र क्रमांक :
आवेदक का नाम पता व हस्ताक्षर
सहायता हेतु धारा 5(3) में प्रस्तुत निवेदन :
आवेदक, उपरोक्त चाही गयीं सूचना को किसी भी तरह से बिना प्रभावित कियें, अपने एवं आपके प्राधिकरण के धन-श्रम-समय कि बचत करने के उद्देश्य से आपके विवेक पर विश्वास रखते हुए इस आवेदन को निराकृत करने से पूर्व निम्न बिन्दुओं पर संज्ञान लेने कि अपेक्षा रखता है:-
(१) यह कि अधिनियम के उद्भव का कारण प्रस्तावना कि प्रथम पैरा में ही उल्लेखित है कि “प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के संवर्धन के लिए”; चुकी धारा 2(h) के अनुसार आपका प्राधिकरण एक लोक प्राधिकारी हैं अतः आपके लोक प्राधिकारी के कार्यकरण कि पारदर्शिता हेतु वांछित सूचना व्यापक लोकहित में प्रदान करना सुनिश्चित करें।
(२) यह कि धारा-3 के अनुसार उक्त सूचना प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का विधिक अधिकार है; अतः आवेदक, अधिनियम कि पालना सुनिश्चित करवाने एवं व्यापक सुधार के उद्देश्य से उपरोक्त सूचना प्राप्त करना अपनी जिम्मेदारी मानता है।
(३) अधिनियम कि धारा 12(1)/ 15(1) में आपके आयोग का गठन अधिनियम के अधीन सौंपे गए कृत्यों का पालन कराने एवं जिसके लिए शक्तियों के प्रयोग के उद्देश्य से किया गया हैं, अतः वांछित निष्कर्ष अधतन रखना आयोग का बाध्य कर्तव्य हैं, जिस दायित्व से बचने का आधार नहीं लिया जा सकता हैं।
(४) यह सूचना धारा 25(3) के रिपोर्ट का एक प्रावधान है, जो समेकित रिपोर्ट धारा 25(4) के अनुसार संसद अथवा विधान-मंडल के सदन के समक्ष रखा जाने हेतु तैयार किया गया हैं अतैव यह जानकारी आम नागरिकों को भी प्राप्त करने का अधिकार है; जैसा कि धारा-8(1) के प्रावधानों के अंत में उल्लेखित है।
(५) यह कि सूचना का सीधा संबंध आपके प्राधिकरण से हैं, अतः इस आवेदन को धारा 6(3) में अंतरित ना कर, आवश्यकता होने पर धारा 5(4) में जिम्मेदार डिम्ड सूचना अधिकारी को प्रेषित किया जायें।
(६) यह कि यदि वांछित सूचना वेबसाइट में प्रसारित भी हो तो भी पूर्ण सूचना को ईमेल से धारा 2(j)(iv) कि उल्लेखित इलेक्ट्रॉनिक रीति से उपलब्ध करवाया जायें, ताकि प्रेषित सूचना एवं सूचना उपलब्ध करवाने कि प्रमाणिकता बनीं रहें।
(७) आवेदन कि रीति एवं चाही गई सूचना पर यदि जन सूचना अधिकारी को कोई भी अस्पष्टता हो तो लिखित में ईमेल से सूचना देकर स्पष्टता प्राप्त कर लेवें अथवा बिना सहायता दियें; अनुरोध अस्वीकृत करने का निर्णय लेने पर धारा 7(8) के अनुसार कारण सहित संसूचित करें।
(८) उपरोक्त वांछित सूचना कि जानकारी प्रदान करने हेतु जारी पत्राचार कार्यालयीन ईमेल से भेजकर शासकीय धन कि बचत एवं पर्यावरण का संरक्षण करें।
(९) यह तथ्य संज्ञान में रखा जायें कि अधिनियम कि वांछित सूचना को धारा-4 के प्रावधानित रिति से स्वप्रकटीकरण करने कि सिफारिश DOPT द्वारा बनायीं गयीं कमेटी द्वारा भी समय-समय पर कि गयीं हैं; यह ध्यान रखें कि किसी भी मनमाने नियम/ उपनियम में निर्दिष्ट प्रारुप के माध्यम से अधिनियम में उल्लेखित कर्तव्य को संकुचित नहीं किया जा सकता हैं।
(१०) यह कि जिस अधिकारी ने धारा 25(3) कि रिपोर्ट तैयार कि हैं उसका एवं आपका पूर्ण नाम, पद एवं कार्यालयीन संपर्क (पता, दूरभाष एवं ईमेल) सुस्पष्ट उल्लेख करने का सहयोग करें।
(११) इस अधिनियम की धारा 7(1) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि वांछित जानकारी यथासंभव शीघ्रता से प्रदान की जाएगी इसलिए इस जानकारी को प्रदान करने के लिए 30 दिन का इंतजार ना किया जाए।
(१२) उपरोक्त वांछित सूचना प्रदान ना करने के लिए अपनायीं गयी प्रक्रिया धारा 18(1) के उपबंधो के अंतर्गत होने पर माननीय आयोग के समक्ष “अधिनियम कि व्यापक पालना कराने एवं सुधार कि अपेक्षा से” जिम्मेदार अधिकारी को दंडित कराने हेतु शिकायत वाद प्रस्तुत करने योग्य होने पर आप स्वयं जिम्मेदार रहेंगे। आशा है कि अधिनियम के अनुरूप सद्भावना पूर्वक कृत्य करेंगे।