सूचना के अधिकार कानून और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आमजन के बीच कानून की समझ बढ़ें इसके लिए आरटीआई रिवॉल्यूशनरी ग्रुप के सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सूचना आयुक्तों के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच प्रत्येक रविवार को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले आरटीआई वेबीनार का आयोजन रविवार 29 मई 2022 को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने की जबकि विशिष्ट अतिथियों के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती एवं पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और उनके टीम के द्वारा किया गया।
आरटीआई की धारा 4(1)(बी) के वर्षिक प्रतिवेदन सूचना आयोग में उपलब्ध कराने हेतु सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका पर आदेश जारी
कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से जूम क्लाउड मीटिंग एप के माध्यम से प्रारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ बनारस इलाहाबाद आगरा आदि जिलों से सम्मिलित पार्टिसिपेंट्स के विभिन्न प्रश्नों के जवाब दिए। कई आवेदक सूचना आयुक्तों के निर्णय से संतुष्ट नहीं थे जिसके विषय में आयुक्त उप्रेती के द्वारा बताया गया कि वह रिवीजन की याचिका डाल सकते हैं जिसके बाद मामले की पुनः सुनवाई की जाएगी। बताया गया उत्तर प्रदेश में आदेश के रिवीजन की भी व्यवस्था है। आगरा से आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तम शर्मा ने भी अपनी तीन अपीलों के विषय में चर्चा की।
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने एक बार पुनः सूचना आयोग में डिस्पोजल रेट को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि आरटीआई कानून इतिहास का कानून बनता जा रहा है जिसमें आवेदकों को समय सीमा पर 90 दिवस के भीतर भी सुनवाई नहीं हो पा रही है जबकि इस विषय में कर्नाटक और कोलकाता हाई कोर्ट का विशेष फैसला है जिसमें द्वितीय अपीलों का निस्तारण 45 दिवस के भीतर किया जाना है। उन्होंने इस विषय पर काफी चिंता जाहिर की। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त ने बताया की हाईकोर्ट उत्तरप्रदेश में दायर की गई याचिका में सूचना आयोग में कर्मचारियों की कमी का उल्लेख था जिस पर कोर्ट ने सरकार को आयोगों में वर्कर्स उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं जिसके बाद उनके सूचना आयोग उत्तर प्रदेश में भी कई कर्मचारी ज्वाइन किए हैं और उनकी नियुक्ति हुई है।
कार्यक्रम में देर से पहुंचे आरटीआई एक्टिविस्ट एवं माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में केसी जैन मामले की कुछ याचिकाओं का निर्णय भी आ चुका है जिसमें आरटीआई कानून की धारा 4 के 17 पॉइंट मैनुअल की वार्षिक रिपोर्ट को सभी प्रदेशों में लागू करने संबंधी और एनुअल रिपोर्ट के विषय में निर्देश जारी किए गए हैं। इसी प्रकार उन्होंने महाराष्ट्र से प्रारंभ किए गए और न्यायिक मामलों में कोविड-19 के दौरान मोबाइल ऑडियो अथवा वीडियो कॉलिंग के माध्यम से सुनवाई पर भी सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश और नोटिस जारी करने के विषय में जानकारी दी और कहा कि यह भी संपूर्ण देश में लागू होगा तो सुनवाई घर बैठे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो जाएंगी।
कार्यक्रम में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग आत्मदीप ने भी अपने विचार रखे और कहा कि आरटीआई कानून पारदर्शिता और जवाबदेही का कानून है जिसे देश के नागरिक ही मजबूती प्रदान कर सकते हैं। अधिक से अधिक आरटीआई लगाएं और आरटीआई कानून को बचाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना आयोगों की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण बन जाती है इसलिए सूचना आयुक्त आरटीआई कानून को मजबूती प्रदान करने और आवेदकों और आम नागरिकों को जानकारी कैसे आसानी से और सुलभ मिल सके इस विषय पर ध्यान केंद्रित करें। इस बीच देश के विभिन्न कोनो से सैकड़ों आवेदकों ने हिस्सा लिया और अपने सवालों के जवाब प्राप्त किए।