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सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली को लेकर आयोजित हुआ 92 वां राष्ट्रीय आर टी आई वेबिनार

बिहार आर टी आई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल हत्याकांड और उनके पुत्र की आत्महत्या भी रहा चर्चा का विषय

सैकड़ों प्रतिभागियों ने रखे प्रश्न तो एक्सपर्ट्स ने दिए जवाब।

क्या सूचना आयोग आमजन को वांछित जानकारी उपलब्ध करवा पा रहे हैं विषय पर 92 वां राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया। इस परिपेक्ष में देश के कोने कोने से आरटीआई उपयोगकर्ता जुड़े और उपस्थित विशिष्ट अतिथियों – पूर्व और वर्तमान सूचना आयुक्त सहित अन्य एक्सपर्ट से मार्गदर्शन प्राप्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने की जबकि विशिष्ट अतिथियों के तौर पर युवा आरटीआई एक्टिविस्ट और पत्रकार सौरभ दास, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप जुड़े।

पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप
कार्यक्रम में विस्तार से चर्चा करते हुए युवा आरटीआई एक्टिविस्ट और पत्रकार सौरव दास ने कहा की सूचना आयुक्तों की कार्यशैली ने पूरे देश के सूचना तंत्र पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। उन्होंने अपने विभिन्न अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कैसे जब मामला राज्य सूचना आयुक्त अथवा केंद्रीय सूचना आयुक्त तक जाता है तो वहां पर आवेदकों के हित में निर्णय नहीं दिए जाते हैं बल्कि वापस उन्ही लोक सूचना अधिकारियों के ऊपर छोड़ दिया जाता है जिन्होंने पहले ही जानकारी देने से मना कर दिया था। उन्होंने कोविड-19 के दौरान 48 घंटे के भीतर जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित जानकारी साझा करने वाले मद्रास हाई कोर्ट के केंद्रीय सूचना आयोग के विरुद्ध मामलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की सबसे अधिक सूचनाएं गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से छुपाई जा रही है। सौरभ दास ने सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा करते हुए बताया कि आज सूचना आयुक्त रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स नियुक्त किए जा रहे हैं जो सिर्फ शासन सत्ता के पक्ष में ही निर्णय देते हैं ऐसे में प्रारंभ से ही नियुक्ति के समय सही सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हो और वहां पारदर्शी व्यवस्था कायम रहे इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। आरटीआई कानून के गठन के 17 वर्ष होने को हैं और सूचनाएं आमजन को उपलब्ध नहीं हो पा रही है जो स्वयं ही अपने आप में प्रश्न खड़ा करता है।


कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी अपने विचार रखे और नितिन अग्रवाल और उनके पुत्र के आत्महत्या और हत्याकांड वाले मामले पर कहा कि इस पर बहुत जल्द एक पत्र संबंधित हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और साथ में वहां के मुख्यमंत्री और चीफ सेक्रेटरी को भेजे जाएंगे। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने यह भी कहा की सूचना आयोग में सूचना आयुक्त का पद सबसे महंगा होता है और उसके अनुपात में देखा जाए तो कम से कम 15 से 20 वर्कर्स उपलब्ध होने चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश की तरह कई सूचना आयोगों में पर्याप्त संख्या में वर्कर्स न होने के कारण सूचना आयोग का कामकाज प्रभावित हो रहा है इसके विषय में भी चर्चाएं की जाएं और आरटीआई एक्टिविस्ट इस विषय पर प्रश्न खड़ा करें। पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने सूचना आयोग की समस्याओं को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि इसके दूसरे पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए और कई अच्छे निर्णय आ रहे हैं जो चर्चा का विषय नहीं बन पाते लेकिन उससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ रही है।

कार्यक्रम में देर से जुड़े मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उपस्थित दर्जनों आरटीआई उपयोगकर्ताओं के प्रश्नों का उत्तर दिया और बिहार की विपिन अग्रवाल हत्याकांड वाली घटना और उसके बाद विपिन अग्रवाल के पुत्र के द्वारा आत्महत्या किए जाने को आरटीआई के इतिहास में और साथ में मानवता के इतिहास में एक दुखद घटना बताया और कहा कि हम ऐसे चुपचाप बैठकर नहीं देख सकते और सबको मिलकर इस विषय में प्रयास करने चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि सहयोगीयों में अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह सम्मिलित रहे। कार्यक्रम में धारा 18 और 19 की शक्तियों को लेकर छत्तीसगढ़ से आरटीआई कार्यकर्ता देवेंद्र अग्रवाल ने राहुल सिंह के समक्ष कुछ प्रश्न रखे जिसका उन्होंने उत्तर दिया।
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