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RTI कानून की धारा 5 पर आधारित 84वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबिनार का हुआ आयोजन

 आरटीआई कानून 2005 की धारा 5 को लेकर लोक सूचना अधिकारियों के विधिक दायित्व और सूचना आयोग की शक्तियों के विषय में 84वें राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती, मध्य प्रदेश के वर्तमान सूचना आयुक्त राहुल सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप एवं पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, आरटीआई एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा की गई।
*** उप्र सूचना आयुक्त अजय उप्रेती और मप्र से आत्मदीप ने धारा 5 और अन्य मुद्दों पर रखे अपने विचार
 ***धारा 18 और 19 पर भी हुई चर्चा, बताया सम्पूर्ण समाधान के लिए धारा 19 के तहत अपीलों का पालन अनिवार्य
 
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहली बार पधारे उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए कई आवेदकों के सवालों के जवाब दिए। उत्तर प्रदेश से अशोक कुमार जायसवाल, अक्षय गोस्वामी, मेघराज सिंह, आलोक कुमार सिंह और उमेश कुमार मिश्रा आदि ने अपने-अपने प्रश्न पूछे। लोक सूचना अधिकारियों के द्वारा अपने दायित्वों की अवहेलना की जाती है जिसे लेकर उपस्थित सूचना आयुक्तों ने कहा कि इस स्थिति में आयोग उनके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही करता है। आरटीआई कानून की धारा 5 की उप-धारा 3 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि यदि आवेदक को किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है तो लोक सूचना अधिकारी वह सब संभव सहायता उपलब्ध करवाएगा और धारा 5 की उप-धारा 4 और 5 के तहत यदि लोक सूचना अधिकारी किसी अन्य लोक प्राधिकारी को डीम्ड पीआईओ बनाता है तो उस स्थिति में डीम्ड पीआईओ को लोक सूचना अधिकारी की मदद करनी पड़ेगी और डीम्ड पीआईओ को भी लोक सूचना अधिकारी मानकर कर्तव्य की अवहेलना की स्थिति में दंडात्मक कार्यवाही की जा सकेगी। जहां तक सवाल आयोग की शक्तियों को लेकर है तो छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल, उत्तराखंड से प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार ठक्कर एवं राजस्थान से ताराचंद जांगिड़ ने धारा 18 और 19 पर आयोग की न्यायिक शक्तियों का हवाला देते हुए बताया कि कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर धारा 18 की शिकायत में भी जानकारी दी जानी चाहिए। हालांकि कुछ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णयों का हवाला देकर यह बताया गया की धारा 18 में जहां दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान है वही यदि आवेदन का संपूर्ण निस्तारण करवाना है और जानकारी की मांग करनी है तो धारा 19 में अपीलीय प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
 
कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया जबकि हाई कोर्ट अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नित्यानंद मिश्रा, आरटीआई एक्टिविस्ट व पत्रकार  नरेंद्रसिंह राजपुरोहित बस्सी नगर व वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह, राजस्थान से सुरेन्द्र जैन आदि ने भी अपने विचार रखे।
 
ज्यादा जानकारी के लिए युटुब पर देखे https://youtu.be/tSfVlSk-Bgs
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