पुलिस विभाग में अधिकांश देखा जाता है कि कोई पुलिस कर्मी आपको फ़ोन करके किसी भी सिलसिले में जांच व पूछताछ के लिये थाने बुलाता है तो आप घबरा जाते हैं न तो घबराये न तो परेशान हो बल्कि उस पुलिसकर्मी से कहें कि वह आपको 160 CrPC के तहत नोटिस भेजे, जिसमें उस पुलिसकर्मी का नाम, रैंक, मिलने का समय, थाना ये सब जानकारी होती है वह पुलिसकर्मी इसके लिए आपको मना नहीं कर सकता। 160 CrPC के नोटिस मिलने के बाद पूछताछ के बाद गिरफ़्तारी नहीं की जाती है बल्कि ये अपराध में आपके सहयोग के लिए किया जाता है। कई बार देखा गया है कि जानकारी न होने की वजह से लोग घबरा कर किसी भी तरह छुटकारा पाने के चक्कर में अपनी मेहनत का बहुत सा पैसा रिश्वत के तौर पर और समय इसमे गवां बैठते हैं। आप फिर भी अगर थाने जाते हैं तो अपने साथ किसी वकील को ले जा सकते हैं बिना किसी नोटिस दिये पुलिस पूछताछ के लिए नहीं बुला सकती। इसके लिए पुलिस के पास डीडी रिपोर्ट, पीसीआर कॉल या अन्य लिखित शिकायत पर ही पुलिस पूछताछ के लिए बुला सकती है। इसके लिए धारा 160 सीआरपीसी के तहत नोटिस देना होता है। नोटिस के बाद ही पुलिस पूछताछ कर सकती है लेकिन वह आरोपी को किसी तरह की यातना नहीं दे सकती। यहां तक कि पूछताछ के दौरान आरोपी के शरीर के स्पर्श करना भी दंडनीय अपराध माना जाता है। अगर पूछताछ में अगर पुलिस को लगता है कि व्यक्ति आरोप में लिप्त है। अगर उन्हें सच में लगता है कि उनके पास सबूत हैं तब शुरू होती है गिरफ्तार करने की प्रक्रिया। इसके लिए अलग से कागज बनते हैं। इसके लिए डीके बासु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में दिये गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करना पड़ता है ।
महावीर पारीक सीईओ & फॉउंडर www.LegalAmibit.org