सूरत नगर पालिका में अवैध निर्माण में सिफारिश करने वाले पदाधिकारियों और नगर सेवक भी शंका के दायरे में
पूर्व नगर सेवक और पदाधिकारी की संपत्ति की जाँच क्यों जरूरी
सूरत नगर पालिका के लगभग सभी जोन में अवैध निर्माण को लेकर आरटीआई कार्यकर्ताओं की भूमिका पर कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। सीआईडी क्राइम ब्रांच ने सूरत नगर निगम सिस्टम को हला दिया है। वहीं, आईटीआई कार्यकर्ता द्वारा किए गए निर्माण के आवदेन पर आवेदन की कुंडली खंगाली जा रही है। हालांकि, अवैध निर्माण ढहाने में आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ-साथ महानगर पलिका के जोन शहरी विकास विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। साथ साथ अवैध निर्माण का हवाला लेने वाले कुछ पूर्व पदाधिकारियों और नगर सेवक की संपत्ति की जाँच किया जाया तो अनेक उदाहरण सामने आयेगे की किस प्रकार नगर निगम के पद भार संभालने के बाद संपत्ति में बड़ा हुआ हैं.
सूरत में नगर निगम अधिकारियों और राजनेताओं के पास मिल्ली भगत में अवैध निर्माण को लेकर कई शिकायतें हैं। उसमें भी पिछले कुछ समय से आरटीआई कार्यकर्ताओं पर भी अवैध निर्माण के आवेदन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. दूसरी ओर अवैध निर्माण के लिए आवेदन करने वालों पर हिंसक हमले भी हो रहे हैं. आरोप है कि 70 फीसदी से ज्यादा अवैध निर्माण आवेदन तोड़बाज करने के होते हैं. शिकायतें आ रही हैं कि अवैध निर्माण के आवेदन पर कार्रवाई की बजाय उसका निपटारा कर दिया जाता है. जिसमें पड़ा अधिकारी के दबाव में अधिकारीयों के पास अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी निति-नियमों का अनदेखा करते हैं.
इसमें भी स्कूल संचालकों से पैसे वसूलने के मामले में महेंद्र पटेल का नाम सामने आने के बाद नगर निगम तंत्र जाग गया है. नगर पालिका ने निर्माण के खिलाफ आवेदन करने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं की सूची तो तैयार कर ली है,लेकिन उन अधिकारीयों की सूचीबद्ध भी तेयार किया जाना चाहिए जो अपने पद का दुरुपयोग कर सरकार श्री के निति-नियमों का अनदेखा कर किया गए आवदेन को निस्तारण करने के लिए अपने पद का गलत फायदा उठा रहे हैं.
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