कानून संप्रभु का आदेश है और लोकतंत्र में जनता ही संप्रभु है। इन्साफ हक है, खैरात नहीं।
Fiat Justitia Ruat Caelum न्याय होना भी चाहिए और दिखना भी चाहिए।
जोधपुर में बैठे एक राजकीय अस्पताल के अधीक्षक और उसके नर्सिंगकर्मी जिसकी पत्नी पूर्व में फर्जी एचआरए के मामले मे पकड़े जाने पर वीआरएस ले चुकी है ने मिलकर पूरी ताकत लगाई कि यह एफआईआर दर्ज ना हो,जिसके चलते राव साहब को उपखंड अधिकारी के पास जाना पडा।उपखंड अधिकारी ने भी अपराध की गंभीरता के चलते तुरन्त एफआईआर के आदेश दिए,
लेकिन अपने आका को खुश करने के लिए पुलिस ने पूरी निष्क्रियता दिखाई,
जिसके चलते राव साहब को एसपी और मुख्यमंत्री जी के यहां भी जाके इनके उपर कार्यवाही हेतु शिकायत करनी पडी,
जिसका नतीज़ा है कि आज पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके तुरन्त ही आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए टीम रवाना कर दी, पूरे प्रकरण में राव धनवीर जी, सरदार टीसीजे ,महावीर पारीक एवं उनकी टीम जयपुर से लेके कोटपुतली तक पावर के नशे में गुरूर पाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए लगी रही।
कानूनन किसी भी Medical Sickness एवं Fitness Certificates को किसी भी चिकित्सालय से जारी करने के लिए उस पर OPD संख्यांक, जारी करने का क्रमांक, रुग्णता के कारण एवं आवश्यक समयावधि जिसके लिए प्रमाण-पत्र पत्र जारी किया गया है, रोगी का नाम इत्यादि विशिष्टियां एवं जारी करने वाले चिकित्सक के हस्ताक्षर एवं मुहरशुदा रिकॉर्ड के ही समान रिकॉर्ड की Counter Foil सम्बन्धित चिकित्सालय में मौजूद होनी आवश्यक है ताकि किसी भी विवाद की स्थिति में रिकॉर्ड को ताईद के लिए तलब किया जा सके चूंकि हस्तगत प्रकरण में अभियुक्तगण में तमाम Medical Sickness एवं Fitness Certificates को कूटरचना द्वारा तैयार किया था और इस कारण इत्तिलादाता द्वारा तस्दीक हेतु वांछित रिकॉर्ड की मांग करने पर अभियुक्तगण को यह इल्म हो गया था कि उनके जुर्म उजागर होने वाले हैं लिहाजा अभियुक्तगण नें अपने पूर्व में किये गए जुर्म के दंड से स्वयं को बचाने के लिए लोकसेवकीय पदीय हैसियत का दुरूपयोग करते हुए लोक दस्तावेजात का न्यासभंग करते हुए पुनः दस्तावेजात की कूटरचना करने के अपराधों की श्रंखला में पुनः नए जुर्म कारित किये जोकि आगामी बिन्दुओं में तफसील से अर्ज हैं |दिनांक 25.11.2019 अंकित है जो जाहिर करती है कि उस पर post dating की गयी है क्योंकि ऐसा कोई भी चिकित्सा प्रमाण-पत्र नहीं हो सकता जोकि किसी रोगी को fit for duty करार देने के उपरान्त जारी किया जा सकता है। 9. मुझ इत्तिलादाता द्वारा प्रेषित चिकित्सा प्रमाणपत्र तारीखी-08,14.07.2019 की Counterfoil का रिकॉर्ड कूटरचित होना इन तथ्यों से जाहिर होता है कि इस्तेमाल और हमारे द्वारा प्रेषित उक्त चिकित्सा प्रमाणपत्र पर सह आचार्य के हस्ताक्षर सहित मुहर अंकित है जबकि नुमाइशी Counterfoil पर जारीकर्ता के नाम के उक्त चिकित्सक के ना तो हस्ताक्षर हैं और ना ही मुहर क्योंकि उक्त जारी चिकित्सा प्रमाणपत्र तारीखी-08,14.07.2019 कूटरचित है |
अनेक बिन्दु की जानकारी के लिए अभियुक्ता संतोष टाक की अपने कार्यालय से गैरहाजिरी को गैरकानूनी ढंग से सही ठहराकर वेतन के रूप में सदोष लाभ पहुंचाने के लिए उसके पति अभियुक्त रामेश्वरलाल ने पहले तो अपनी तैनाती के चिकित्सालय के नाम से कूटरचित चिकित्सा प्रमाण-पत्र तैयार करवाए जिनका विधिविरुद्ध और उनको कूटरचित जानकार भी असल की मानिंद अभियुक्ता संतोष टाक नें इस्तेमाल किया और जब उक्त जुर्म के रिकॉर्ड की ताईद के लिए मुताल्लिक रिकॉर्ड माँगा गया तो अपने उक्त जुर्म को छुपाने एवं दंड से बचने के लिए उक्त रामेश्वरलाल ने अभियुक्त धर्मेन्द्र गुर्जर एवं अन्य अभियुक्तगण (जो स्वयं लोकसेवक हैं) जिनकी न्यास में O.P.D. Register इत्यादि रिकॉर्ड मौजूद था से आपराधिक साज करके न केवल उक्त प्रकार साक्ष्यों को खुर्द-बुर्द करवाया बल्कि उनके स्थान पर लोक दस्तावेजात की कूटरचना करते हुए नए कूटरचित दस्तावेजात तैयार कर उनको इत्तिलादाता को मुहैया करवाया गया है जो कि धारा-34, 1208, 166, 167, 188, 204, 217, 419, 420, 466, 467, 468 एवं 471 भारतीय दंड संहिता एवं धारा-9 लोक अभिलेख अधिनियम की तारीफ में आती है। 14. उक्त तमाम अपराध मूल रिकॉर्ड एवं रजिस्टरों के जब्त करने एवं उनकी FSL जांच से खुद ब खुद संदेह से परे साबित हो जायेंगे जिसकी शक्तियां केवल आप श्रीमानजी को ही हासिल हैं और आप द्वारा ही इस्तेमाल की जा सकती है लिहाजा हस्तगत प्रकरण में मुक़द्दमा दर्ज करना निहायत जरूरी है। इत्तिलादाता के पास आज दिनांक तक उक्त तमाम घटनाक्रम एवं जुर्म को साबित करने वाले कागजात मौजूद हैं जिनको संलग्न कर पेश कर रहा हूँ और शेष कोई रिकॉर्ड हासिल या आवश्यक हुआ तो दौराने अनुसन्धान पेश कर दिया जावेगा । अतः दरपेश गुजारिश है कि उक्त अभियुक्तगण के खिलाफ अजरूय दफा मुकद्दमा दर्ज करने की माँग Legal Ambit के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राव धनबीर सिहं ने किया था जिसमें पुरे मामले में जानकारी उच्चअधिकारीयों को होने के बाबजूद कार्यवाही न होने से थानान्तर्गत प्राथमिकता दर्ज किया गया.