सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12 सितंबर 2023 को इस प्रकरण की सुनवाई हुई
छत्तीसगढ़, चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के रिट याचिका पर छत्तीसगढ़ सरकार का सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2(4) पर 1 अगस्त 2013 को जारी किया गया नोटिफिकेशन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा संशोधन कर सरकार को ठीक ढंग से नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश किया गया है माना जाता है की सूचना के अधिकार पर यह एक महत्वपूर्ण फैसला है जिसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 25 न्यायदृष्टांत का उल्लेख किया है.
आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा 2 नवंबर 2016 को सूचना का अधिकार पर एक आवेदन प्रस्तुत कर छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो से जानकारी मांगा गया था कि आपके विभाग में 3 माह से अधिक समय से कितने प्रकरण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 व दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत अभियोजन की स्वीकृति के लिए लंबित है इन प्रकरणों में औपचारिक अधिकारियों कर्मचारियों का नाम, पदनाम, अपराध की धाराएं, अपराध का प्रकार की जानकारी यदि इस संस्था को उक्त अधिनियम से छूट प्राप्त है तो वह अधिसूचना निर्देश नियम के दस्तावेजों की प्रति की मांग की गई थी.
आईटीआई कार्यकर्ता के इस आवेदन पर एंटी करप्शन ब्यूरो छत्तीसगढ़ के पुलिस अधीक्षक शाखा द्वारा यह लेख किया गया कि राज्य शासन द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधान से छूट प्रदान किया गया है, जो राज्य शासन का आदेश छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 1 अगस्त 2013 है इस आलोक में आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं किया गया साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 1 अगस्त 2013 को जारी किया गया नोटिफिकेशन की प्रति संलग्न कर प्रेषित किया गया.
आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के इस नोटिफिकेशन को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डबल बेंच के समक्ष चुनौती दी गई. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा इस याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार से जवाब की मांग की गई. जवाब आने के पश्चात उभय पक्ष के द्वारा प्रकरण में बहस के समय याचिका करता ने उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस वाले अगुवाई के बेंच को बताया कि उसने छत्तीसगढ़ सरकार के नोटिफिकेशन को चैलेंज किया है, इस कारण यह डबल बेंच में प्रस्तुत किया गया है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के द्वारा इस तथ्य को अस्वीकार करते हुए याचिका निरस्त कर दी गई और याचिका करता राजकुमार मिश्रा के ऊपर यह टिप्पणी की गई की याचिका करता जनहित याचिकाओं के मामले में नए व्यक्ति नहीं है उन्हें जनहित याचिकाओं के संबंध में अच्छी जानकारी है इस कारण यह याचिका निरस्त की जाती है.
आईटीआई कार्यकर्ता श्री राजकुमार मिश्रा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के इस आदेश से दुखी होकर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दी. सर्वोच्च न्यायालय में लंबी सुनवाई के पश्चात आदेश किया गया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय इस याचिका को पुनः सुने.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12 सितंबर 2023 को इस प्रकरण की सुनवाई हुई जिसमें याचिका करता अपने पक्ष की पैरवी स्वयं करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जस्टिस संजय के अग्रवाल के अगुवाई वाले डबल बेंच में उपस्थित हुए. राजकुमार मिश्रा ने न्यायालय को बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24(4) का मानना है कि देश का कोई भी संस्था भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से इनकार नहीं कर सकती उसके विपरीत राज्य सरकार के द्वारा 1 अगस्त 2013 को सूचना का अधिकार से एंटी करप्शन ब्यूरो को मुक्त कर दिया है जो की विधि विरुद्ध है. याचिका करता के द्वारा अपने तर्क में न्यायालय को बताया गया कि छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो सभी भ्रष्टाचार के मामलों की जांच ही करती है, इसके अलावा और दूसरे किसी भी तरह के अपराध की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा नहीं की जाती. इस प्रकरण को विस्तृत रूप से न्यायालय ने सुना राज्य सरकार इस प्रकरण का विरोध करती रही. राज्य सरकार का मानना है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन सही है.
इस संबंध में सुनवाई पूरा होने पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के डबल बेंच के द्वारा दिनांक 12 सितंबर 2023 को ऑर्डर को रिजर्व कर लिया गया तथा 19 अक्टूबर 2023 को जारी किया गया है.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा इस याचिका में 25 से ज्यादा न्याय दृष्टांतों का उल्लेख किया गया है छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का यह आदेश 35 पेज में है. इस याचिका के आदेश में भ्रष्टाचार की विस्तृत परिभाषा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा बताई गई है और अपने आदेश के निष्कर्ष में स्वीकार किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन दिनांक 1 अगस्त 2013 त्रुटि पूर्ण है इसे राज्य सरकार आदेश दिनांक से 3 हफ्ते के भीतर सुधार करें और आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत किए गए सूचना के अधिकार के आवेदन के निराकरण एंटी करप्शन ब्यूरो इस आदेश से चार हफ्ता के भीतर करें अर्थात आवेदक को जानकारी प्रदान करें.
माना जा रहा है कि यह आदेश छत्तीसगढ़ सरकार के नाक में दम करेगा. यह आदेश नजीर बनेगा और इसका उल्लेख दूसरे राज्यों में भी किया जाएगा ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो बहुत से बड़े अधिकारी और राजनेताओं के अपराधों को पब्लिक की नजर में लाने से बचाती है इस आदेश के बाद देखते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार क्या सुप्रीम कोर्ट जाती है इस आदेश को चुनौती देते हुए अथवा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश का पालन करती है.