राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान पंचायतीराज नियम, 1996 के तहत चाहा गया रिकॉर्ड व दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाने के मामले में दायर रिट याचिका सुमेर लाल शर्मा बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान पर सुनवाई करते हुए विकास अधिकारी और प्रधान पंचायत समिति, बालोतरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बाड़मेर व जिला कलेक्टर बाड़मेर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 कानून का विकल्प है यह नियम
ग्राम पंचायत सिणली जागीर निवासी सुमेरलाल शर्मा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट मे अधिवक्ता देवेन्द्रसिंह राठोड़ ने रिट याचिका मे बहस करते हुऐ हाई कोर्ट से निवेदन किया कि आवेदक ने राजस्थान पंचायतीराज नियम, 1996 के नियम 321 सपठित नियम 324 के तहत विकास कार्यों, दीमक उन्मूलन हेतु स्प्रे छिड़काव, कैष बुकों, लोग बुकों, सामग्री खरीद के बिलों, बजट तथा ठेकों से सम्बन्धित दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियां चाही थी, जिसका जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने नियम 328 के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी को प्रतिवेदन भेजा, जिसको मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद बाड़मेर द्वारा स्वीकार कर जानकारीयां देने का आदेष किया, लेकिन आदेषों की पालना नही हुई जिससे घोटालों कि आषंका और ज्यादा प्रबल हो गई है इसलिये प्रार्थी सभी दस्तावेज प्राप्त करने का अधिकार रखता है।
सुनवाई के बाद न्यायमूर्ती डॉ. विजय विष्नोई ने विकास अधिकारी व प्रधान पंचायत समिति बालोतरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बाड़मेर व जिला कलेक्टर बाड़मेर को चार सप्ताह का नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया।
यह नियम जिसमे राजस्थान पंचायतीराज नियम, 1996 के नियम 321 सपठित नियम 324 पंचायती राज संस्थाओं यथा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद् से दस्तावेज अथवा रिकॉर्ड लेने के लिए सूचना का अधिकार अधिकार अधिनियम 2005 का विकल्प है। जिसके तहत अधिकतम केवल चार दिनों में पंचायतीराज संस्थाओं को आवेदकों को चाहे गए रिकॉर्ड अथवा दस्तावेज उपलब्ध करवाना होता है वह भी केवल 5 रुपये के नाम मात्र के शुल्क पर।
नियम 328 के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इन नियमों की पालना सुनिश्चित करनी होती है तथा राजस्थान पंचायतीराज नियम, 1996 के नियम 321 सपठित नियम 324 पंचायती राज संस्थाओं यथा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद् से दस्तावेज अथवा रिकॉर्ड देने मे कोताही बरती जाती है तो सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर जिला कलेक्टर राजस्थान पंचायती राज. अधिनियम 1994 के तहत पंचायतीराज संस्था के व्यतिक्रम करने पर कर्तव्यों के पालन की व्यवस्था करने की शक्ति धारण करता है तथा इस कानून के तहत जिला कलेक्टर निर्धारित समयावधी तक कर्तव्यपालन के लिये एक व्यक्ति को सषुल्क पारिश्रमिक के तौर पर नियुक्त कर सकता है। इन प्रावधानों की समुचित रूप से पालना नहीं करने और आवेदक को रिकॉर्ड व दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाने पर माननीय राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायतराज विभाग के शीर्ष अधिकारियों जिसमे विकास अधिकारी तथा प्रधान पंचायत समिति बालोतरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बाड़मेर तथा जिला बाड़मेर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।