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सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल ‘‘बचकाना जिज्ञासा संतुष्ट करने के लिए नहीं किया जा सकता

गुजरात विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट से कहा कि सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल किसी की ‘‘बचकाना जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए नहीं किया जा सकता। विश्वविद्यालय ने याचिका दायर कर आरटीआई कानून के तहत प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की जानकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उपलब्ध कराने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है।
केंद्रीय सूचना आयोग के सात साल पुराने आदेश का पालन नहीं करने के लिए आरटीआई अधिनियम के तहत दिए गए अपवादों का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि केवल इसलिए कि कोई सार्वजनिक पद पर है, कोई व्यक्ति उनकी ऐसी निजी जानकारी नहीं मांग सकता है, जो उनकी सार्वजनिक जीवन/गतिविधि से संबंधित नहीं है।

गुजरात हाईकोर्ट


तुषार मेहता ने दलील दी कि प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी ‘‘पहले से ही सार्वजनिक रूप पर उपलब्ध है और विश्वविद्यालय ने पूर्व में अपनी वेबसाइट पर विवरण भी पेश किया था। उन्होंने दावा किया कि आरटीआई का उपयोग विरोधियों के खिलाफ ‘‘तुच्छ हमले करने के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, केजरीवाल की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, जैसा कि मेहता दावा कर रहे हैं। वकील ने ‘फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) द्वारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के आवासों की तलाशी का भी उल्लेख किया और कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

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