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3 वर्ष पुराना मामला : लीगल ऑफिसर के अभिमत के बाद भी सूचना आयोग नहीं कर रहा वर्चुअल सुनवाई।

चिरमिरी। सूचना के अधिकार में सूचना आयोग द्वारा द्वितीय अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई वर्चुअल मोड से करने को लेकर लगी एक रिट याचिका में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट 14 फरवरी को अहम फैसला करेगा। याचिकाकर्ता ने रिट याचिका लगाकर सूचना आयोग द्वारा वर्चुअल मोड से सुनवाई करने की मांग की है। मामले में हाई कोर्ट क्या फैसला देता है यह 14 को पता चलेगा।

वर्चुअल सुनवाई को लेकर रिट याचिका की सुनवाई 14 को।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में हो सकता है बड़ा फैसला…!

दरअसल यह मामला करीब 3 वर्ष पुराना है जिसमें चिरिमीरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने राज्य सूचना आयोग को वर्ष 2018 में पत्र लिखकर द्वितीय अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई वर्चुअल मोड से किए जाने की मांग की थी। मामले में आयोग ने सूचना आयुक्तों की बैठक में उक्त बात को रखा था। बैठक में हुए निर्णय के बाद उक्त प्रस्ताव को राज्य के किसी एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने को लेकर आयोग के लीगल डिपार्टमेंट को भेजा जिसके बाद लीगल ऑफिसर ने अपना अभिमत देते हुए राज्य के महासमुंद और रायगढ़ जिले में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने की बात कही थी। वर्ष 2018 में आयोग के लीगल ऑफिसर द्वारा अपना अभिमत देने के 1 साल बाद भी आयोग द्वारा वर्चुअल सुनवाई शुरू नहीं की गई। तब आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने मामले को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रिट याचिका लगाई। वर्ष 2019 में लगी रिट याचिका अब तक पेंडिंग थी पर 14 फरवरी के दिन मामले में सुनवाई निश्चित की गई है। मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट क्या निर्णय देता है यह काफी रोचक होगा।

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होनी थी वर्चुअल सुनवाई :-

सूचना आयोग ने सूचना आयुक्तों की बैठक में वर्चुअल मोड से सुनवाई के प्रस्ताव को रखा था। बैठक में हुए निर्णय के बाद उक्त प्रस्ताव को राज्य के किसी एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने को लेकर आयोग के लीगल डिपार्टमेंट को भेजा जिसके बाद लीगल ऑफिसर ने अपना अभिमत देते हुए राज्य के महासमुंद और रायगढ़ जिले में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने की बात कही थी।

द्वितीय अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई के लिए करना होता है 100 किलोमीटर का सफर :-

बता दें कि, राज्य सूचना आयोग में लगे द्वितीय अपील की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के कलेक्ट्रेट में होती है। जिसमें सुनवाई के लिए अपील करता को स्वयं उपस्थित होना पड़ता है। ऐसे में जिले के दूरदराज के क्षेत्र से लोगों को 100 से 170 किलोमीटर का भी सफर करके जिला कलेक्ट्रेट पहुंचना पड़ता है। वर्चुअल सुनवाई शुरू हो जाने से लोगों को घर बैठे ही सुनवाई का लाभ मिलने लगेगा।

सूचना आयोग वर्चुअल सुनवाई करना ही नहीं चाहता : राजकुमार मिश्रा।

बात सुप्रीम कोर्ट की हो या छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सभी जगहों पर वर्चुअल मोड से सुनवाई की जा रही है। वर्चुअल मोड से सुनवाई किए जाने से लोगों के समय ऊर्जा और धन की बचत होती है। मेरे द्वारा करीब 4 वर्ष पूर्व से ही आयोग से वर्चुअल सुनवाई को लेकर मांग की जाती रही है। जहां आयोग के लीगल ऑफिसर द्वारा अभिमत देने के बावजूद भी राज्य के 2 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आज तक वर्चुअल सुनवाई शुरू नहीं की जा सकी है। इसका मतलब यही है कि आयोग वर्चुअल सुनवाई करना ही नहीं चाहता है।

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