इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान पूर्णतया सुरक्षित और गड़बड़ी से इनकार – पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत
तकनीको में भी पारदर्शिता आवश्यक – श्रीनिवास कोडाली
आरटीआई से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी – पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और आरटीआई को लेकर 120 वां राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत सम्मिलित हुए। विशिष्ट अतिथि के तौर पर तकनीकी विशेषज्ञ और आईआईटी मद्रास के एलुमनाई श्रीनिवास कोडाली एवं मध्यप्रदेश के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप सम्मिलित हुए।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से चुनाव पूर्णतया सुरक्षित और हर गड़बड़ी से इनकार – पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत
कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और उससे होने वाले मतदान के विषय में अपना विचार रखते हुए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एवं देश के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे चुके ओम प्रकाश रावत ने कहा कि देश में एक ऐसा समय था जब वैलेट पेपर से मतदान हुआ करता था। बैलेट पेपर से कराया जाने वाला मतदान काफी खर्चीला, समय लेने वाला और साथ में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी की आशंका से भरा रहता था। ऐसे में नवीन तकनीकों का उपयोग करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से मतदान कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई जिस पर एकबार सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आपत्ति की गई लेकिन इसके उपरांत संविधान में नियम पारित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से पूरे देश में चुनाव करवाया जाने लगा। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका फाइल की गई जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के पैटर्न पर बदलाव हुआ और वोटर वेरीफाईएबल पेपर ऑडिट ट्रेल के माध्यम से चुनाव होने लगा जिसमें 5 वर्ष तक मतदान से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक एवं पेपर से संबंधित जानकारी सुरक्षित रहती है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारत की चुनाव प्रक्रिया पूरे विश्व में जानी जाती है और विभिन्न देशों लोग आकर यहां की मतदान प्रक्रिया को समझने का प्रयास करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से होने वाले मतदान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रहती है और यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो मशीन रिसेट फैक्ट्री मोड में चली जाती है।
विघ्न संतोषी तत्व ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की प्रक्रिया पर उठाते हैं प्रश्न
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के विषय पर ओम प्रकाश रावत ने आगे कहा की कई बार देखा गया है कि राजनीतिक लोग जब चुनाव हार जाते हैं तो वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर ही प्रश्न खड़ा कर देते हैं लेकिन उन्हीं के पार्टी के 90 प्रतिशत से अधिक लोग दूसरे स्थानों पर जीतते हैं तो उस पर उनका कोई जवाब नहीं रहता है। उनका कहना था कि यह सिर्फ ऐसे लोग हैं जो हर बात में कुछ न कुछ गड़बड़ी निकालते रहते हैं और मतदान को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
चुनाव प्रक्रिया के दौरान सीसीटीवी कैमरे लगे होने से भी गड़बड़ी की गुंजाइश कम
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने कहा कि आज हर मतदान केंद्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के लिए कोर्ट से सख्त निर्देश दिए गए हैं जो एक निश्चित समय अवधि लगभग 45 दिन तक सुरक्षित रखे जाते हैं। यदि किसी भी प्रकार से मतदान केंद्रों में गड़बड़ी की आशंका है तो यह जानकारी आरटीआई लगाकर प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से चुनाव होने के उपरांत इन्हें स्ट्रांग रूम में रखा जाता है जहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होती है इसलिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से किसी भी प्रकार की गड़बड़ी किया जाना संभव नहीं है।
ईवीएम स्टेटस पेपर में हर प्रकार के संदेहों का किया गया है समाधान
पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा की जब देश के विभिन्न भागों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से कराए जाने वाले मतदान को लेकर संदेह और प्रश्न खड़े होने लगे तो इस विषय पर चुनाव आयोग के द्वारा ईवीएम स्टेटस पेपर के माध्यम से समस्त प्रश्नों के जवाब एकत्रित करते हुए इसे पब्लिक पोर्टल पर साझा किया जा चुका है जो हिंदी अथवा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में आज उपलब्ध हैं। इसमें उन सभी प्रश्नों के जवाब दिए गए हैं कि यूरोप के विभिन्न देशों और अमेरिका के विभिन्न देशों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान हो रहे हैं अथवा क्यों नहीं हो रहे हैं एवं साथ में इससे जुड़े हुए समस्त प्रकार के प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध हैं जो कहीं भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
तकनीकों का उपयोग आवश्यक लेकिन पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी – तकनीकी विशेषज्ञ श्रीनिवास कोडाली
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्र से तकनीकी विशेषज्ञ और विभिन्न अखबारों में तकनीकी लेखक आईआईटी मद्रास के एलुमनाई श्रीनिवास कोडाली ने कहा की तकनीकें बेहद जरूरी हैं और उनका उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा डिजिटाइजेशन और तकनीकों के प्रयोग के लिए वह निरंतर काम कर रहे हैं लेकिन तकनीको को टैम्पर करते हुए भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अथवा किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट में गड़बड़ी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद और आंध्र प्रदेश में इसके पहले आधार डाटा और वोटर आईडी से लिंक किए जाने के मामले के भी कुछ राजनीतिक दलों द्वारा गलत लाभ लिए जाने के कुछ किस्से के सामने आए थे जिस पर कई लोगों ने मुखर होकर आवाज रखी थी। उन्होंने कहा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से संबंधित संदेह इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के अंदर क्या हो रहा है उसके अंदर क्या है और उसकी पहुंच किन एजेंसी के पास है इससे लोगों में संदेह होना स्वाभाविक है। उनका कहना था कि जो भी वस्तुएं हमें दिखती हैं वह पारदर्शी होनी चाहिए और सभी को पता चलना चाहिए कि आखिर उसके अंदर क्या है। ऐसे में जहां संदेह दूर होता है वहीं व्यवस्थाओं के प्रति और प्रशासन के प्रति विश्वास भी बढ़ता है। श्रीनिवास कोडाली ने कहा कि उनका उद्देश्य यह नहीं है की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन गलत है अथवा उनके द्वारा कोई आरोप लगाया जा रहा है बल्कि उनका यह कहना है कि किसी भी प्रकार की व्यवस्था में गड़बड़ी संभव है और शासन प्रशासन को हर प्रकार के सुझाव और बेहतरी के लिए खुला होना चाहिए। श्रीनिवास ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे कुछ यूरोपियन हैकर ने किसी भारतीय के साथ मिलकर एक ईवीएम मशीन को हैक कर दिखाया था कि उसमें क्या-क्या टैम्परिंग की जा सकती है। जिसके बाद भारतीय व्यक्ति के ऊपर मुकदमा दायर कर दिया गया और उसे जेल में डाल दिया गया और यूरोपियन को देश के बाहर भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से ऑटोक्रेटिक और अथॉरिटेरियन स्थिति चिंताजनक है। बेहतर यह होगा की हर प्रकार की गड़बड़ी को समझते हुए उसमें और अच्छा कैसे सुधार किया जाए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही अन्य कई मुद्दों पर भी उन्होंने चर्चा की और आधार डाटा के दुरुपयोग और वोटर आईडी से जोड़ने से क्या नुकसान हो सकता है इस परिपेक्ष में उन्होंने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य में ऐसे मतदाताओं के ऐसे लाखों मतदाताओं के उदाहरण दिए जो आधार डाटा सही तरीके से लिंकिंग न होने की वजह से मतदान देने से वंचित हो गए थे।
आरटीआई कानून से मतदान के क्षेत्र में भी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है – आत्मदीप
कार्यक्रम में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी अपने विचार रखे और उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार कानून का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन हो अथवा मतदान से संबंधित कोई भी प्रक्रिया इन सब में यदि सूचना के अधिकार का उपयोग किया जाता है तो बेहतर व्यवस्था लाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज और मतदान केंद्रों में मतदान से संबंधित डाटा आरटीआई के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है और इससे पारदर्शिता जवाबदेही बढ़ेगी। आवेदकों के प्रश्नों को लेकर उन्होंने जवाब दिया की ऐसे समस्त दस्तावेज जो लोक क्रियाकलाप से संबंधित हैं और जिनमें लोक धन का उपयोग होता है उन्हें आरटीआई के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अपने आदेशों में पहले भी उन्होंने सर्विस बुक भी उपलब्ध करवाई है।
कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा किया गया और कार्यक्रम के सहयोगीयों में अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा आरटीआई रिवॉल्यूशनरी ग्रुप के आईटी सेल से पवन दुबे छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल भी सम्मिलित रहे। कार्यक्रम में उत्तराखंड से आरटीआई रिसोर्स पर्सन देवेंद्र कुमार ठक्कर ने भी कई प्रश्नों के जवाब दिए।