सुरत, सुरत शिक्षा विभाग में हो रहे अनेक भष्टाचार के बाद भी शासन-प्रशासन सुधरने का नाम नही लेते इसके बावजूद भी किये गई शिकायत या सुचना अधिकार के तहत माँगी गई जानकारी देने में अधिकारी किस तरह से लापरवाही पूर्वक काम करते हैं साथ में किस प्रकार उनके उच्च अधिकारी भी इस प्रकार की गलतीयाँ छुपाने वाले कर्मचारीयों/अधिकारियों को उसने बड़े अधिकारी बचाते हैं इस बात का अंदाज़ एक सुचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत माँगी गई जानकरी से लगाया जा सकता हैं
सुरत जिल्ला शिक्षण विभाग में किये गई आवेदन दिनांक 10-06-2021 के दिन किया गया जिसमें एक निजी स्कुल के रजिस्टेशन से संबंधित जानकारी माँगी गई थी उस सुचना को उपलब्ध कराने में जन सूचना अधिकारी ने समय सीमा पूरा होने के बाद भी कोई पत्रचार नही मिलने के बाद 15-07-2021 जब उस आवदेन संबंधित जानकारी लेने के लिए सुरत डीओं ऑफिस में गया तो वहाँ पर जन सुचना अधिकारी ने तुरंत एक पत्र लिख कर रकम जमा करने के लिए कहा सुचना जरूरी होने के कारण उस समय आवेदक ने माँगी गई रकम भर कर सुचना प्राप्त करना चाहता था लेकिन रकम 546/- भरपाई करने के बाद भी जन सुचना अधिकारी ने माँगी गई जानकारी उपलब्ध नही करने के बाद आवेदक ने गुजरात राज्य सुचना आयोग में सुचना अधिकार अधिनियम-2005 के कलम 18 (1) के तहत फरियाद किया गया लेकिन गुजरात सुचना आयोग में किये गई फरियाद के सुचना 11-01-2022 के दिन किया गया जिसमें आयोग के सुनवाई में गुजरात राज्य सुचना आयुक्त के चीफ़ इन्फोर्मेशन कमिश्नर श्री अमृत पटेल की कोर्ट न.1 में सुनवाई किया गया जिसमें बार-बार कहने के बाद भी सुचना आयुक्त ने किये गई फरियाद की दरखास्त को निरस्त कर दिया उसके बाद आयोग के हुक्म की कोपी में भी कई भुल इस तरह से देखने को मिले जो सुचना आयुक्त की प्रशिक्षण पर भी सवाल खड़े कर देते हैं?